Farmers Suicide
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    • वीडियो क्लीप बनाकर आत्महत्या की घटना
    • कर्ज नीति में परिवर्तन जरूरी-प्रशांत गावंडे

    अकोला. आर्थिक तकलीफों से लगातार तंग आने के बाद पिछले 11 माह में 51 किसानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं हुई हैं. किसानों के लिए बनाई गई योजनाएं पूरी तरह से फेल दिखाई दे रही हैं. शुक्रवार को जिले की मुर्तिजापुर तहसील में एक 32 वर्षीय युवा किसान ने विष पीकर आत्महत्या कर ली. प्रवीण पोलकट इस साखरी गांव के रहनेवाले किसान पर सहकारी बैंक तथा महिंद्रा कोटक का कर्ज था.

    इस बार ठीक तरह से फसल न होने के कारण वह कर्ज की किश्त नहीं भर सका. जिसके कारण उसका ट्रैक्टर 19 नवंबर को फायनांस कंपनीवाले उठाकर ले गए. इसी कारण किसान ने खुद विष प्राषन करते हुए अपनी वीडियों क्लिप बनाई और आत्महत्या कर ली. इस आत्महत्या से पूरे जिले में खलबली मच गयी है.

    इस किसान ने पहले अपना आत्महत्या पूर्व का वीडियो तैयार कर के सोशल मीडिया पर वायरल किया था. उसने इसमें रोहन काले तथा महिंद्रा कोटक का उल्लेख किया है और इनको ही अपनी आत्महत्या का जिम्मेदार बताया है और इनके विरूद्ध सख्त कार्रवाई की मांग भी की है. उसके परिवार में उसके बाद उसकी पत्नी, दो पुत्रियां जिसमें एक की उम्र 4 वर्ष की तथा एक की उम्र 2 वर्ष की है.

    इसी तरह बीमार माता, पिता भी हैं. किसान आत्महत्या न करें इस विषय को लेकर कई तरह की उपाय योजनाएं बनाई गई हैं. लेकिन इस तरह की आत्महत्या को देखकर ऐसा लगता है कि इन योजनाओं में कोई सार्थकता नहीं है. 

    कहीं जनजागृति नहीं दिखाई देती

    जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हर जिले में आत्महत्या निवारण समिति कार्यरत हैं. इस तरह की आत्महत्या की घटना देखकर ऐसा लगता है कि यह समिति क्या कर रही है, इसी तरह सिविल सर्जन के कार्यालय में किसान आत्महत्या रोकने के लिए स्वतंत्र पथक कार्यरत हैं, इन पथकों पर किसानों में जनजागृति करने की जिम्मेदारी है फिर भी किसान आत्महत्या की घटनाएं बराबर घट रही हैं. यह उल्लेखनीय है कि पश्चिम महाराष्ट्र की तुलना में विदर्भ में किसान आत्महत्या की घटनाएं अधिक घट रही हैं. 

    कर्ज नीति में परिवर्तन जरूरी-प्रशांत गावंडे

    इस बारे में बातचीत करने पर किसान नेता प्रशांत गावंडे ने कहा कि कर्ज नीति में परिवर्तन किए बिना किसान आत्महत्याएं नहीं रोकी जा सकेंगी. विदर्भ में जमीन काफी अच्छी है फिर भी यहां पश्चिम महाराष्ट्र से अधिक किसान आत्महत्या देखी जा रही हैं. इसके लिए कर्ज नीति की विसंगति कारणीभूत है. बिना सिंचाई वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 75 हजार से 1 लाख तक कर्ज उपलब्ध किया गया तो यह किसानों के लिए एक बहुत बड़ा आधार रहेगा. इस ओर सरकार ने ध्यान देना चाहिए यह भी उन्होंने कहा.