Radheshyam Mopalwar

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समृद्धि महामार्ग  में निरंतर हो रही दुर्घटनाओं से लोग सहम से गए हैं। तरह-तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही है। इस महामार्ग में हो रही दुर्घटनाओं के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है। सड़क का निर्माण गलत तरीके से हुआ है या लोगों का धैर्य खो गया है। इस विषय पर एमएसआरडीसी के प्रबंध निदेशक राधेश्याम मोपलवार और जनाक्रोश फार बेटर टूमॉरो के सचिव रवि कासखेडीकर के अपने विचार रखे।

श्रेष्ठ इंजीनियरिंग की मिसाल है समृद्धि

समृद्धि महामार्ग में हो रहे एक्सीडेंट से सभी परेशान हैं। हम भी चिंतित हैं और सर्वे करा रहे हैं। सर्वे में यह बात सामने आई है कि धैर्य और जल्दबाजी के कारण दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। महामार्ग के निर्माण में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। सड़क देश में श्रेष्ठ इंजीनियरिंग की मिसाल है। यहां पर हर पहलुओं का ध्यान रखा गया है। एक्सीडेंट को कम से कम करने के लिए प्रत्येक विकल्प तैयार किए गए हैं। जहां जानवर की संवावनाएं थी, वहां पर अंडर ब्रिज, ओवर ब्रिज बनाये गए हैं ताकि जानवर उन रास्तों का इस्तेमाल करें। समृद्धि महामार्ग को दोष देने से कोई लाभ नहीं है। आज हजारों गाड़ियां इस महामार्ग का इस्तेमाल कर रही हैं। परंतु सामने दुर्घटनाएं आती हैं। यह भी न हो तो बेहतर है। हम इसके लिए और भी कदम उठा रहे हैं। सरकार ने कई कदम उठाये हैं। परंतु एक बात सत्य है कि लोगों को धैर्य रखना होगा। नियमों का पालन करना होगा। नियमों का पालन करने वाले आसानी से आ जा रहे हैं। ओवर स्पीड एक बड़ी समस्या है। उसके लिए भी पहल की गई है। एंट्री-एक्जिट पाइंट पर वाहनों को खड़ा किया जा रहा है। अब टायर चेकिंग करने की सुविधाएं भी विकसित की जा रही है। जो कमियां हमें दिख रही है, उसमें सुधार का प्रयास जारी है। चालक को भी जागरूक होगा होगा। उन्हें समझना पड़ेगा कि जीवन और परिवार अनमोल है। जल्दी पहुंचना जरूरी नहीं है। -राधेश्याम मोपलवार, प्रबंध निदेशक, एमएसआरडीसी

रुक-रुक कर करें सफर

700 किलोमीटर की सड़क बिल्कुल सीधी है। कोई एट्रेक्शन नहीं होने से स्टेयरिंग की गतिविधियां नहीं के बराबर  होती है। एेसे में लोग सुस्त पड़ जाते हैं। वो एक बार में ही सरपट डेस्टीनेशन तक पहुंचना चाहते हैं। एेसे में लोगों को हर 100-150 किलोमीटर के दायरे में रोककर आराम करना चाहिए। इससे ऊर्जा बनी रहेगी। सुस्ती खत्म होगी।  150 किलोमीटर में टायर को ठंडा करने के लिए कुछ पहल सरकार को करनी चाहिए। ज्यादातर दुर्घटनाएं टायर फटने से हो रही है। टायर ठंडा करने वाला विकल्प अहम है। इसी प्रकार जहां जानवर निकलने की संभावना है, वहां पर फेंशिंग की जरूरत महसूस हो रही है। स्पीड चेक करने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। आज सड़क पर 200-250 किलोमीटर की रफ्तार से वाहन निकल रहे हैं। एेसे वाहनों पर आर्थिक दंड थोपना चाहिए,क्योंकि ये अपने जान के साथ-साथ दूसरों के जान के भी दुश्मन हैं। साथ ही प्रवेश करते वक्त ही 5-10 मिनट का विडियो हर वाहन चालक को दिखाना चाहिए, जिसमें नियम कानून से लेकर जीवन के महत्व शामिल हो। लेन पालन, लेन का महत्व भी बताना अहम है। सड़क निर्माण में कोई भी दिक्कत नहीं है। जो भी अपघात हो रहे हैं, वह मानवीय गलतियों से हो रहे हैं। आरटीओ की अहम भूमिका होती है, लेकिन आरटीओ वाले उदासीन हैं। -रवि कासखेडीकर, सचिव, जनाक्रोश फार बेटर टूमॉरो

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