After 42 years of struggle, farmers got water for irrigation

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    अकोला. जिले के बालापुर व अकोला इन दो तहसीलों में खारा पानी पट्टा के अंतर्गत आने वाले गांवों के लिए वरदान साबित होने वाली 69 गांव प्रादेशिक जलापूर्ति योजना का कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ है, मगर फिर भी उक्त योजना की लागत में 48 करोड़ 33 लाख 91 हजार रुपए की वृद्धि हो गई है. 21 अक्टूबर 2021 को इस योजना के लिए दी गई 171 करोड़ 5 लाख 74 हजार रुपए की प्रशासकीय मंजूरी को रद्द कर नए सिरे से 219 करोड़ 39 लाख 65 हजार 653 रुपए की लागत को मंजूरी दी गई है. उक्त आशय का आदेश राज्य के जलापूर्ति व स्वच्छता विभाग द्वारा जारी किया गया है.

    उल्लेखनीय है कि जानकारों की राय के अनुसार यदि लागत को मंजूरी मिलने के बाद पिछले आठ महीनों में इस योजना का कार्य शुरू हो गया होता तो यह नौबत नहीं आती. इसके लिए जारी की गई निविदा को अपेक्षित प्रतिसाद न मिलने तथा महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा नई दरसूची लागू किए जाने की वजह से नए सिरे के प्रशासकीय मंजूरी हेतु प्रस्ताव रखा गया था. आरोप लगाया जा रहा है कि कुल मिलाकर इसके जरिए सरकारी यंत्रणाओं की कामों को लेकर सुविधाजनक कार्य पद्धति सरकारी तिजोरी पर हाथ मारने वाली साबित हो रही है.

    बालापुर व अकोला तहसीलों में पानी की किल्लत हो जाती है. इस वजह से यहां अलग जलापूर्ति योजना की मांग की जा रही है. तद्नुसार बालापुर के 53 तथा अकोला के 16 सहित कुल 69 गांवों के लिए जलजीवन मिशन के अंतर्गत प्रादेशिक जलापूर्ति योजना प्रस्तावित की गई थी. इसके लिए मंत्रालय में बैठकें हुईं व पानी आरक्षित किया गया. नई रूपरेखा व बजट को जलापूर्ति विभाग द्वारा नए सिरे से मंजूरी दी गई.

    निविदा प्रक्रिया क्यों लटकी रही

    नई योजना को प्रशासकीय मंजूरी दिए जाने से पहले जलापूर्ति व स्वच्छता विभाग द्वारा कई मुद्दों की समीक्षा की गई. उसके बाद 21 अक्टूबर 2021 को दी गई प्रशासकीय मंजूरी के उपरांत महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने 10 मार्च 2022 को दरसूची शुद्धिपत्रक के अंतर्गत नई दरसूची लागू की व इसे नए सिरे से पुन: मंजूरी दी गई. अब यह सवाल उठाया जा रहा है कि नई दरसूची लागू किए जाने से पहले निविदा प्रक्रिया क्यों लटकाई गई व कार्य क्यों नहीं शुरू किया गया?