हड़ताल: स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई, दूसरे दिन भी रही कार्यालयों में सन्नाटा

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  • पुरानी पेन्शन योजना : जिले में 6,000 से अधिक कर्मी शामिल

अकोला. पुरानी पेन्शन लागू करो इस मांग को लेकर आज बुधवार को दूसरे दिन भी राज्य के सरकारी कर्मियों की हड़ताल जारी रही. बुधवार को भी जिलाधिकारी कार्यालय के सामने हड़ताल कर रहे कर्मियों ने जमकर नारेबाजी की. इस हड़ताल में जिले के 6,482 अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं.

14 मार्च से शुरू राज्य सरकारी कर्मियों की हड़ताल के कारण अब सामान्य जनजीवन प्रभावित होने लगा है. स्वास्थ्य सेवाएं सर्वाधिक प्रभावित हो रही हैं. इस हड़ताल में सर्वोपचार अस्पताल की करीब 254 नर्सेस शामिल हैं. इसी तरह क्लास थ्री के कर्मचारी संगठन भी हड़ताल में शामिल हैं. नियमित रूप से सर्वोपचार अस्पताल में करीब 30 से 35 शल्यक्रियाएं होती थी वह अब 14 पर आ गई हैं.

इन विभागों के कर्मचारियों का प्रदर्शन

जिप, सरकार से अनुदान लेने वाली मनपा, नपा, प्राध्यापक, शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए हैं. ‘एकच मिशन, जुनी पेन्शन’, यह नारा देते हुए कर्मचारी लगातार हड़ताल पर हैं. बुधवार को सुबह 10 बजे से कर्मचारी जिलाधिकारी कार्यालय के सामने जमा हो गए थे. यहां डाले गए हड़ताली कर्मियों के मंडप को अनेक मान्यवरों ने भेंट दी.

यह है मुख्य मांग 

हड़ताल कर रहे राज्य सरकारी कर्मियों की मांग है कि राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन का शासन मान्यता के संदर्भ में सरकार का आदेश पारित करें, नई पेन्शन योजना रद्द कर के पुरानी पेन्शन योजना तुरंत लागू करें, सभी रिक्त पद भरें, सभी को समान वेतन दें, अनुकंपा तत्व पर बिना शर्त नियुक्ति करें. इसके साथ साथ भी अन्य कई मांगें हड़ताल कर रहे कर्मियों द्वारा की गई हैं.

78 संगठन शामिल 

पुरानी पेन्शन लागू करने की मांग को लेकर जो हड़ताल शुरू है. उसमें 78 कर्मचारी संगठन शामिल हैं. जिले में कुल 10,474 अधिकारी, कर्मचारी हैं. जिसमें पूर्व अनुमति लेकर 361 अधिकारी व कर्मचारी अवकाश पर थे. और 6,482 अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए हैं.

अस्थायी कर्मियों से सेवा नियोजन : खडसे 

हड़ताल के विषय में बातचीत करने पर निवासी उप जिलाधिकारी प्रा. संजय खडसे ने कहा कि, कर्मियों की हड़ताल का स्वास्थ्य सेवा पर परिणाम दिखाई दे रहा है, लोगों को सुचारु रुप से स्वास्थ्य सेवाएं मिले इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से अस्थायी स्वरुप के कर्मियों द्वारा ठेका पद्धति से सेवा नियोजन किया गया है. फिलहाल इस हड़ताल का सामान्य जनजीवन पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं देखा जा रहा है.