अकोला. राज्य में पशुधन को तेजी से संक्रमित कर रहे लम्पी त्वचारोग के विषय में सरकारी व प्राइवेट पशुचिकित्सकों एवं महाराष्ट्र पशु व मत्स्य विज्ञान विद्यापीठ द्वारा उपलब्ध कराए गए संशोधित उपचार प्रोटोकॉल के अनुसार जानवरों का उपचार करें. यह निर्देश पशुसंवर्धन आयुक्त सचिंद्र प्रताप सिंह ने दिए हैं.
पशुसंवर्धन आयुक्त के निर्देशानुसार राज्य में पशुओं के उपचार के चलते संक्रमित पशुओं एवं गांवों की संख्या कम हो रही है. महाराष्ट्र में 1 अक्टूबर तक जलगांव जिले के 218, अहमदनगर जिले के 146, धुले जिले के 28, अकोला जिले के 253, पुणे जिले के 92, लातुर के 13, औरंगाबाद जिले के 36, बीड़ के 3, सातारा जिले के 105, बुलढाना जिले के 178, अमरावती जिले के 159, उस्मानाबाद जिले के 4, कोल्हापुर के 9,सांगली के 15, यवतमाल जिले के 2, सोलापुर जिले के 13, वाशिम जिले के 18, नासिक जिले के 4, जालना जिले के 12, पालघर के 2, ठाणे जिले के 19, नांदेड़ के 13, नागपुर जिले के 4, हिंगोली का 1, रायगढ़ के 4, नंदुरबार जिले के 11 तथा वर्धा जिले के 2 सहित कुल 1,426 पशुओं की मौत हुई.
पशुपालकों के लिए भयभीत होने की कोई बात नहीं है, मगर फिर भी सावधानी बरतें. उपरोक्त सभी मौतें भी संबंधित मवेशियों का उपचार तीन-दिनों के विलंब से शुरू किए जाने की वजह से हुईं. लम्पी के लक्षण दिखते ही समय पर उपचार शुरू कर दिया जाए, तो मौत की आशंका बहुत ही कम हो जाती है. उपचार को भी अधिकांश पशुओं से अच्छा प्रतिसाद मिलता है. इसके चलते सभी पशुपालक लम्पी के लक्षणों पर बारीकी से ध्यान दें व उजागर होते ही तुरंत नजदीकी वेटरिनरी अस्पताल से संपर्क करें.
अधिकांश भागों में टीकाकरण का कार्य पूर्ण
जिले के अधिकांश भागों में लम्पी टीकाकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. सिर्फ कुछ दुर्गम भागों के मवेशी तथा आवारा जानवरों का मुद्दा अभी तक कायम है. इसके चलते टीकाकरण मुहिम की रफ्तार में वृद्धि जरूरी है.