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अमरावती. सहायक दुय्यम निबंधक कार्यालय में नकली मालिक और फर्जी आधारकार्ड दिखाकर मूल मालिक के बिना दो प्लॉट बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. पुणे के हडपसर निवासी मूल मालिक पंकज मधुकर आगरकर की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी सुरेश टाले (43, रेवसा), कन्हैया पांडे (32, दहीसाथ चौक, अमरावती), किशन भट्टड़ (62, चंद्रपुर), अभिजीत गरड (नासिक), शेखर कालमेघ (नासिक), सुनील करवा (अमरावती), अजमद खान लियाकत खान (भानखेड़ा, अमरावती) और एक अज्ञात के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज किया है.

ऑनलाइन सातबारह देखने पर चला पता

पुणे के हडपसर निवासी पंकज मधुकर आगरकर ने 1996 में अमरावती जिले के कठोरा बु. के खेत सर्वे नं 77/2 के प्लॉट क्रमांक 37 व वर्ष 1990 में मासोद के प्लॉट सर्वे नंबर 26/114 के प्लॉट नंबर 14 यह दो संपत्ति हेमंतकुमार रामनिवास व्यास की ओर से खरीदी की थी. अभी तक यह संपत्ति किसी को बेची या किसी को कुछ लिखकर भी नहीं दिया. पंकज ने ऑनलाइन सातबारह देखा तो उसमें फेरफार का पंजीयन दिखाई दिया. इसके बाद पंकज ने पटवारी कार्यालय से संपर्क साधने प्लॉट की खरीदी-बिक्री का व्यवहार होने की जानकारी मिली.  रजिस्टर ऑफिस में पहुंचने पर उन्हें पता चला कि प्लॉट की झूठी खरीदी कर अज्ञातों ने यह प्लॉट बेचा है. वर्तमान में यह प्लॉट सुरेश श्रीकृष्ण टाले (43) के नाम पर दर्ज है.  पंकज ने झूठे आधारकार्ड और प्लॉट के नकली मालिक को खड़ाकर प्लॉट की खरीदी-बिक्री किए जाने की शिकायत कोतवाली थाने में की है. 

इन पर दर्ज हुआ मामला

पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी सुरेश टाले (43, रेवसा), कन्हैया पांडे (32, दहीसाथ चौक, अमरावती), किशन भट्टड़ (62, चंद्रपुर), अभिजीत गरड (नासिक), शेखर कालमेघ (नासिक), सुनील करवा (अमरावती), अजमद खान लियाकत खान (भानखेड़ा, अमरावती) और एक अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. 

व्यवहार में फर्जी आधारकार्ड का उपयोग

पंकज आगरकर पुणे के हडपसर के रहने वाले हैं. हालांकि अपने स्वामित्व वाले दो अलग-अलग भूखंडों के पंजीयन लेनदेन के दौरान, आरोपियों ने आगरकर का नकली आधार कार्ड संलग्न किया. उस आधार कार्ड पर पंकज आगरकर (रा. चैतन्यवाड़ी, बुलढाना) अंकित है. इससे भी आगे बढ़ते हुए यह भी बताया गया है कि इस मामले में आधार कार्ड वेरिफिकेशन किया जा चुका है. इसलिए पंकज आगरकर ने आरोप लगाया है कि इस साजिश में फर्जी आधार कार्ड बनाने वालों के साथ गवाह, सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं. उस आधार कार्ड पर नाम तो गायब है ही, उस पर लगी फोटो भी आगरकर की नहीं है.