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    औरंगाबाद. शहर (City) में  साल 2010-11 से 2013-14 तक बिजली आपूर्ति और बिजली बिल वसूली (Electricity Bill Recovery) का जिम्मा संभाली निजी कंपनी (Private Company) जीटीएल (GTL) द्वारा महावितरण (Mahavitaran) को 1500 करोड़ रुपए का चूना लगाने का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High Court) के औरंगाबाद खंडपीठ में जीटीएल महावितरण भ्रष्टाचार विरोधी समिति द्वारा दायर की गई।

    याचिका में इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई। याचिका   की प्राथमिक सुनवाई न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति आरएन लडडा के समक्ष हुई। याचिका की प्राथमिक सुनवाई के बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, महावितरण, जीटीएल कंपनी को नोटिस जारी की है। इस मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।

    393 करोड़  की राशि अदा करने के लिए आगाह

    गौरतलब है कि राज्य के तत्कालीन  एमएसईबी ने साल 2010-11 में शहर में बिजली आपूर्ति  और बिजली बिल वसूली के लिए निजी कंपनी जीटीएल की नियुक्ति की थी। कंपनी ने ठेके के दरमियान तय करार को अनदेखी करते हुए करोड़ों रुपए की राशि महावितरण को अदा नहीं की थी। इस पर महावितरण ने जीटीएल कंपनी को कई बार नोटिस देकर कंपनी की ओर बकाया 393 करोड़  की राशि अदा करने के लिए आगाह किया। इसके बावजूद जीटीएल कंपनी ने बकाया राशि अदा नहीं की। इससे परेशान महावितरण ने नवंबर 2014 में जीटीएल कंपनी का करार रदद करते हुए शहर की बिजली व्यवस्था का सारा जिम्मा अपने हाथ लिया। इधर, जीटीएल कंपनी से बकाया राशि वसूलने के लिए महावितरण  ने कोई पहल न करते हुए सन 2016-17 आर्थिक वर्ष में जीटीएल कंपनी की ओर बकाया 393 करोड़ की राशि न वसुलते हुए जीटीएल कंपनी को 43 करोड़ 83 लाख रुपए की राशि अदा की थी।

    जांच सीबीआई को सौंपने की मांग 

    याचिका कर्ता जीटीएल महावितरण भ्रष्टाचार विरोधी समिति ने एडवोकेट शेख मोईनोददीन द्वारा दायर याचिका में जीटीएल कंपनी ने महावितरण के अधिकारियों से मिलीभगत कर करीब 1500 करोड़ रुपयों का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए बताया की इस घोटाले की शिकायत केंद्रीय गृहमंत्रालय, राज्य के मुखिया उध्दव ठाकरे से कर इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई थी। इस मांग की दखल ना केंद्रीय गृहमंत्रालय ने लिया और ना ही राज्य के मुखिया उध्दव ठाकरे ने ली। विशेषकर, याचिका कर्ता समिति ने शहर के सांसद इम्तियाज जलील, राज्य सभा सांसद और देश के केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड,  विधायक संजय सिरसाठ, विधायक अंबादास दानवे को  जीटीएल कंपनी और महावितरण की मिलीभगत से हुए करोड़ो रुपए के  भ्रष्टाचार को लेकर कई दस्तावेज  सौंपकर इस मामले की जांच के लिए सदन में आवाज उठाने की विनंती की थी।

    राशि तत्काल वसूलने की मांग

    शहर के सभी जनप्रतिनिधियों ने भी समिति की इस मांग की ओर अनदेखी किए जाने का आरोप याचिका में लगाते हुए जीटीएल कंपनी और महावितरण के अधिकारियों ने मिलीभगत कर किए करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई। साथ ही  जीटीएल कंपनी की ओर बकाया 392 करोड़ की राशि तत्काल वसूलने की मांग भी याचिका में की गई। याचिका की प्राथमिक सुनवाई न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला और आरएन लडडा के समक्ष  हुई। सुनवाई में न्यायालय ने  केंद्र सरकार, राज्य सरकार, महावितरण और जीटीएल कंपनी को नोटिस जारी की है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट शेख मोईनोद्यीन पैरवी कर रहे है।