मराठवाड़ा में पांच करोड़ की बिजली चोरी का पर्दाफाश

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    औरंगाबाद : औरंगाबाद प्रादेशिक विभाग में महावितरण (Mahavitaran) विशेष उड़न दस्तों ने नवंबर महीने में 533 लाख रुपए की बिजली चोरी (Electricity Theft) के 262 मामलों का पर्दाफाश (Busted) किया है। इस बिजली चोरी में बड़ी संख्या में औद्योगिक (Industrial) और कारोबारी ग्राहक (Business Customers) शामिल हैं। महावितरण ने चेतावनी दी है कि उक्त बिजली चोरी मामले में दिए गए जुर्माने के बिलों का समय सीमा में भुगतान नहीं किया गया तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। 

    नवंबर में मराठवाड़ा में छापेमारी के दौरान कुल 238 बिजली चोरी का पर्दाफाश हुआ, जहां सुनियोजित तरीके से बिजली चोरी की जा रही थी। इस बिजली चोरी मामले में 51 लाख 38 हजार यूनिट का बिल लगाया गया। साथ ही मई, दिसंबर के दूसरे सप्ताह में लातूर मंडल में विभिन्न स्थानों पर बिजली चोरी अभियान चलाया गया। महावितरण कंपनी के नियमानुसार ग्राहकों को उक्त बिजली चोरी राशि के बिलों का भुगतान करने की समय सीमा दी गई है। बिजली चोरी के इस मामले में बकाए का भुगतान नहीं करने की स्थिति में महावितरण ने चेतावनी दी है कि संबंधित के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

    बिजली चोरी एक दंडनीय अपराध है और कठोर कारावास का प्रावधान है

    विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 में पड़ोसी से अनाधिकृत बिजली लेना, स्वीकृत भार से अधिक क्षमता के भार का उपयोग करना, अनुमोदित श्रेणी से अन्य श्रेणी के लिए अनधिकृत बिजली का उपयोग करना शामिल है। साथ ही, धारा 135 में मीटर के साथ छेड़छाड़, बिजली का हुक लगाकर बिजली का उपयोग, सेवा तार को टैप करना और धारा 138 में मीटर, तार और वितरण की अन्य वस्तुओं की चोरी शामिल है। साथ ही विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 और 138 के अनुसार विद्युत चोरी दंडनीय अपराध है और इसमें अभियुक्त को कठोर कारावास का प्रावधान है।

    महावितरण के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विजय सिंघल और औरंगाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के सह प्रबंध निदेशक डॉ. मंगेश गोंदावले के साथ कार्यकारी निदेशक-सुरक्षा और प्रवर्तन प्रमोद शेवाले ने मराठवाड़ा में सुरक्षा और प्रवर्तन विभाग के उप निदेशक सतीश कपडानी और अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक सतीश शिंपी ने उक्त बिजली चोरी अभियान को अंजाम देने के लिए सतीश शिंपी ने काफी मेहनत की।