GIS Survey

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    औरंगाबाद: आए दिन औरंगाबाद शहर (Aurangabad City) का विस्तार हो रहा है। शहर के बाहरी इलाकों में बड़े पैमाने पर संपत्तियों (Properties) की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। संपत्तियों की संख्या में बड़े पैमाने पर इजाफा होने के बावजूद करों की राशि वसूलने के लिए उन संपत्तियों का अधिकृत पंजीकरण करने के लिए जिले के तत्कालीन पालकमंत्री सुभाष देसाई की सूचना पर औरंगाबाद महानगरपालिका प्रशासन ने स्मार्ट सिटी के माध्यम से भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस)  सर्वे शुरु किया है। इन दिनों ड्रोन (Drone) के माध्यम से सर्वे (Survey) का काम युध्दस्तर पर जारी है। गत दिनों सर्वे करते समय सैटेलाइट में आयी तकनीकी समस्याओं के चलते सर्वे को ब्रेक लगा था। जिसके चलते जिस एग्नेक्स कंपनी को सर्वे का काम दिया गया है, वह कंपनी समय पर सर्वे का काम पूरा नहीं कर पायी। इसलिए कंपनी को स्मार्ट सिटी प्रशासन ने सर्वे के लिए और 6 माह का समयावधि बढ़ाकर दी गई है। यह जानकारी महानगरपालिका की उपायुक्त अपर्णा थेटे ने पत्रकारों को दी।

    उन्होंने बताया कि हर साल शहर में स्थापित होनेवाली संपत्तियों के अलावा अन्य जानकारी हासिल करने के लिए महानगरपालिका प्रशासन ने स्मार्ट सिटी के माध्यम से जीआईएस सर्वे शुरु करने का निर्णय लिया। गत वर्ष जून माह में संपत्तियों के अलावा शहर में स्थित अन्य विविध सुविधाओं की जानकारी हासिल करने के लिए महानगरपालिका प्रशासन ने स्मार्ट सिटी के माध्यम से जीआईएस सर्वे करने का निर्णय लिया था। इस सर्वे के लिए 11 करोड़ 9 लाख की राशि खर्च की जानी है। 

    एग्नेक्स कंपनी को दिया गया 6 माह का विस्तार

    जीआईएस सर्वे करने का काम एग्नेक्स कंपनी को दिया गया। कंपनी को चालू वर्ष के जून माह तक सर्वे पूरा करने के लिए समय दिया गया था, लेकिन जीआईएस सर्वे के दौरान सैटेलाइट में आई तकनीकी समस्याओं के चलते कंपनी तय समय में सर्वे पूरा न कर पाने पर स्मार्ट सिटी प्रशासन ने 6 माह का समय कंपनी को बढ़ाकर दिया है। सर्वे के दरमियान शहर के पेड़, सड़कें, खेल के मैदान, स्ट्रीट लाइट के पोल, बिजली पोल, ड्रैनेज लाइन, शहर में स्थित गार्डन, शहर में लगे होर्डिग्ज  के अलावा शहर में स्थित अन्य सुविधाओं का डेटा जमा कर उसके इमेजेस लिए जा रहे है। इन इमजेस के चलते शहर में कितनी संपत्तियां है, पहले के संपत्तियों में कितना इजाफा हुआ, शहर में कितने क्षेत्र की ड्रैनेज लाइन बिछी हुई है। यह जीआईएस सर्वे के माध्यम से मिल रही जानकारी और महानगरपालिका प्रशासन के पास स्थित पहले की जानकारी का तालमेल किया जा रहा है। उसके लिए महानगरपालिका के पेयजल आपूर्ति विभाग, क्रीडा विभाग, उद्यान विभाग ड्रैनेज लाइन विभाग, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण देने का सिलसिला स्मार्ट सिटी मुख्यालय में जारी है।  

    जोन स्तर पर जमा की जा रही हैं जानकारियां 

    उपायुक्त अपर्णा थेटे ने बताया कि एग्नेक्स कंपनी द्वारा जीआईएस सर्वे में ऑनलाइन जानकारी तैयारी कर उसकी जांच करने का काम जारी है। अगले माह अब तक किए गए सर्वे की जानकारी आम आदमी को दी जाएंगी। उपायुक्त थेटे ने बताया कि सर्वे का काम आगामी 10 साल तक किया जाएगा। ड्रोन सर्वे कर 300 लेयर स्थापित की गई थी। उसका सहीं इस्तेमाल करने तथा लेयर की जानकारी महानगरपालिका अधिकारियों और कर्मचारियों को समझाने के लिए इन दिनों प्रशिक्षण देने का सिलसिला स्मार्ट सिटी कार्यालय में जारी है। उपायुक्त थेटे ने बताया कि प्रशिक्षण का महानगरपालिका के हर कार्य में बड़े पैमाने पर फायदा होगा। उनके अनुसार जीआईएस सर्वे के चलते शहर में स्थित वैध और अवैध होर्डिग्ज की जानकारी भी बड़ी आसानी से मिल रही है। 

    औरंगाबाद में 2 हजार 555.236 किलोमीटर की सड़कें 

    उपायुक्त थेटे ने बताया कि अब तक किए जीआईएस सर्वे में शहर में 2 हजार 555.236 किलोमीटर की सड़कें होने की जानकारी सामने आयी। जिसमें बीटी रोड्स 581.427 किलोमीटर, सीसी रोड्स 1 हजार 84.192  किलोमीटर, डब्ल्यूबीएम रोड 61.624 किलोमीटर, गैरवल रोड-827. 993 किलोमीटर शामिल है। शहर में 541.587 किलोमीटर की ड्रैनेजलाइन, 20 हजार 500 स्ट्रीट लाइट हैं। वहीं, 2 लाख 39 हजार 722 संपत्तियों के अलावा 2 लाख 38 हजार 510 पेड़ होने की जानकारी सामने आने की जानकारी उपायुक्त थेटे ने दी।

    हर संपत्ति का जारी है मूल्यांकन 

    शहर के भीतर ऐसे भी क्षेत्र है जहां पर निर्माण की अनुमति लिए बिना ही बड़ी संख्या में मकान बनाए गए है। जिसमें अधिकांश से अब तक किसी प्रकार का कर वसूला नहीं जा रहा है। जीआईएस सर्वे के माध्यम से शहर के भीतर की हर निर्माण की गणना करने का काम महानगरपालिका प्रशासन द्वारा जारी है।इसके बाद सभी में शासन के नियमों के मुताबिक संपत्ति कर और अन्य टैक्स लगाए जाएंगे।