MP Imtiaz Jaleel

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छत्रपति संभाजीनगर: हाल ही में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार द्वारा औरंगाबाद (Aurangabad) का नामांतर छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) और उस्मानाबाद (Osmanabad) का नामांतर धाराशिव करने के लिए पेश किए प्रस्ताव को मंजूरी दी है। केन्द्र सरकार के मंजूरी के बाद औरंगाबाद के नामांतर की प्रक्रिया तेज होकर सरकारी कार्यालय में नामांतर का काम युध्दस्तर पर जारी है। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ शनिवार से सांसद इम्तियाज जलील (MP Imtiaz Jaleel) के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने बेमियादी क्रमिक अनशन आरंभ किया गया है। 

शनिवार की सुबह से क्रमिक अनशन को लेकर सैकड़ों लोग जमा होकर औरंगाबाद का नामांतर छत्रपति संभाजीनगर करने का विरोध करते रहें। अनशन में शामिल हुए लोगों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ नाराजगी जताते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। क्रमिक अनशन के दरमियान शहर के कई संगठनों और राजनेताओं ने सांसद जलील से मुलाकात कर आंदोलन को अपना समर्थन दिया।

सांसद जलील ने किया ये सवाल 

आंदोलन के दरमियान पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद जलील ने कहा कि औरंगाबाद का नामांतर छत्रपति संभाजीनगर क्यों किया गया। इसका कोई जवाब सरकार के पास नहीं है। संभाजी महाराज सभी के आदर हैं। वे महापुरुष है, इसमें कोई दो राय नहीं है, परंतु उनका औरंगाबाद से क्या संबंध था? यह सवाल कर जलील ने कहा कि पूरे विश्व में इस शहर की पहचान औरंगाबाद से हो चुकी है, उसका नाम बदलकर सरकार क्या चाहती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि औरंगाबाद का नामांतर कर कुछ राजनीतिक दलों साम्प्रदायिक राजनीति करना चाहती हैं। उन्होंने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का नाम लिए बिना कहा कि एक पार्टी का नेता 35 साल पूर्व औरंगाबाद आता है और अपनी राजनीति के लिए एक जनसभा में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने का ऐलान करता हैं। उस नेता की भावना पर अगर औरंगाबाद का नामांतर किया जाता है तो मैं भी एक सांसद हूं। मेरी भी कोई भावनाएं है? शहर में जन्मे लोगों की भी भावनाएं  है। 

एमपी ने जताई कड़ी नाराजगी

उन्होंने सरकार द्वारा औरंगाबाद का नामांतर करने के लिए निर्णय पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर आप लोग औरंगजेब पर औरंगाबाद का नाम होने का जो ढिंढोरा पिटते हैं, वह पूरी तरह गलत है क्योंकि औरंगजेब एक राजा थे। हमने कभी उनकी जयंती अथवा पुण्यतिथि मनायी? यह सवाल कर औरंगाबाद का नामांतर संभाजीनगर करने का उन्होंने विरोध कर अपना क्रमिक आंदोलन बेमियादी जारी रखने की चेतावनी दी।

भावनानिक मुद्दों से रुका शहर का विकास 

उन्होंने शिवसेना-बीजेपी का नाम लिए बिना कहा कि गत 30 सालों से शहर में भावनिक मुद्दों को उछाकर कुछ दलों ने अपनी राजनीतिक रोटी सेकी, परंतु आज शहर में कई मूलभूत समस्याएं बरकरार है। उन्हें हल करने के बजाए सरकार नामांतर जैसे भावनिक मुद्दों पर गंदी राजनीति कर दो समुदायों में दुरियां पैदा करने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि हमने औरंगाबाद नामांतर विरोधी संघर्ष समिति का गठन किया है। उसी कृति समिति के अंतर्गत यह आंदोलन हो रहा है। जिन दलों और संगठनों को हमारे साथ इस आंदोलन में शामिल होना है, वे लिखित रुप से अपना समर्थन देने की अपील सांसद जलील ने की। उन्होंने नामांतर के बाद शहरवासियों की समक्ष आनेवाली समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए सवाल किया कि  नागरिकों की परेशानियों का हल कौन निकालेगा?। 

औरंगजेब का फोटो लेकर पहुंचे युवकों को आंदोलन से निकाला गया 

उधर, नामांतर के खिलाफ सांसद जलील के नेतृत्व में शुरु किए गए आंदोलन में कुछ युवक औरंगजेब का फोटो लेकर पहुंचे। उन्होंने औरंगजेब का फोटो लगाकर  औरंगाबाद के नामांतर के खिलाफ नारे भी लगाए, परंतु जैसे ही सांसद जलील को इसकी भनक लगी तो उन्होंने उन युवकों को आंदोलन से निकाल दिया। इधर, उन युवकों द्वारा औरंगजेब की फोटो लेकर की गई नारेबाजी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हैं। इस पर जलील ने कहा कि कुछ युवकों ने जानबूझकर आंदोलन में बाधा डालने के लिए यह नाटक किया है। हमने उन युवकों को आंदोलन से निकाल दिया है।