पूरा होगा पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का सपना

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    औरंगाबाद : कोरोना के सदमें से दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं (Economies) चरमराने लगी हैं। इस संकट से बाहर आने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिल रही है और पांच ट्रिलियन डॉलर (Five Trillion Dollars) की अर्थव्यवस्था का सपना जरूर साकार होगा। यह विश्वास केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड (Union Minister of State for Finance Dr. Bhagwat Karad) ने यहां जताया। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में 73वें अखिल भारतीय वाणिज्य मंडल का थियेटर हॉल में भव्य तरीके से समापन हुआ। समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता आईसीए के उपाध्यक्ष प्रो. मानस पांडेय ने की। इंडियन कॉमर्स एसोसिएशन की ओर से ‘इंडियाज मार्च टू फाइव ट्रिलियन इकोनॉमी बाय 2024’ विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर बागला ग्रुप के सीएमडी ऋषि बागला मौजूद रहे। साथ ही कुलगुरु डॉ.श्याम शिरसाठ, कुलसचिव डॉ. भगवान साखले, वाणिज्यिक वैज्ञानिक सीताराम अग्रवाल, आईसीए के पूर्व अध्यक्ष, प्राचार्य बबनराव तायवडे, प्राचार्य टी. ए. शिवरे, रमेश मंगल, आईसीए के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. वाल्मिक सरवदे, कार्यवाहक सचिव प्रो. पुष्पेंद्र मिश्रा, कोषाध्यक्ष प्रो. नवल किशोर, समन्वयक और विभागाध्यक्ष डॉ. सैयद अजहरुद्दीन, डॉ. गजानन सानप मुख्य रुप से उपस्थित थे। 

    इस मौके पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने  मुख्य अतिथि के रूप में मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा, निकट भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर की क्षमता वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। वित्त राज्य मंत्री का पद संभालने के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ सुझाव दिए थे। इसमें वित्तीय सुरक्षा, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल लेन-देन को लागू किया गया। जन धन योजना की बदौलत भारत में जीरो बैलेंस के साथ 47 करोड़ 40 लाख नए खाते खोले गए। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरतमंदों को साल भर मुफ्त अनाज योजना भूख मुक्त भारत बनाने में सफल होगी। डॉ. भागवत कराड का यह भी मानना है कि चैंबर ऑफ कॉमर्स परिषद में होने वाली मंथन से देश की अर्थव्यवस्था को दिशा मिलेगी। यह विश्वास उन्होंने व्यक्त किया। 

    इस समय सीताराम अग्रवाल ने कहा, भले ही हम यह मान लें कि वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार पांच ट्रिलियन डॉलर होगा, लेकिन हम यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि उस समय हमारे देश में सामाजिक स्थिति कैसी होगी। उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय दिल्ली में वाणिज्य भवन स्थापित करने में मदद करेगा और वाणिज्य के विद्वानों को देश की नीति निर्माण में शामिल करेगा, बामू विश्वविद्यालय के प्र. कुलपति डॉ. शाम सिरसाठ ने कुलपति डॉ. प्रमोद येवले के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में यह परिषद हम सब सफल बना सकें। 

    चलता है, अब नहीं चलेगा

    द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जर्मनी, जापान और अन्य जैसे छोटे राष्ट्रों ने फ़ीनिक्स को अपना लिया। वजह थी उनकी जबर्दस्त ऊर्जा और देशभक्ति। बागला समूह के सीएमडी ऋषि बागला ने कहा कि अगर भारत को आर्थिक महाशक्ति बनना है तो उसे ‘राष्ट्र प्रथम’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना होगा। भारतीयों के पास बहुत ऊर्जा और ज्ञान है लेकिन ‘चलता है’ के रवैये के कारण हमने बहुत कुछ खो दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में चाहे वह व्यक्ति कोई भी हो, हम तभी आगे बढ़ सकते हैं जब हम ‘चलता है, नहीं चलेगा’ मंत्र को अपनाएंगे।