गोबरवाही. क्षेत्र से बावनथडी नदी गुजरती है. जो महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश की सीमा रेखा है. इस नदी पर दोनों राज्यों का बराबरी का अधिकार है. न तो भंडारा जिले के और न तो बालाघाट जिले के रेती घाटो की निलामी हुई है. किंतु रात दिन नियमों का उल्लंघन करते हुए जेसिबी मशीनों की सहायता से रेती उत्खनन धडल्ले से जारी है. ऐसा लगता है कि आनेवाले दिनों में बावनथडी नदी मृतावस्था में आ जाएगी. इस नदी के दोनों ओर भंडारा व बालाघाट जिले के अनेक रेती घाट है. दोनों ओर के गावों में मुख्य फसल गन्नें की होती है. यह सारे गांव गुड उत्पादन में अग्रणी है.
नदी के दोनों ओर बसे डोंगरी बु., चांदमारा, लोभी, आष्टी, पाथरी, घानोड, धुटेरा, शक्करधरा, कवलेवाडा, सोंड्या, महालगाव, गोरेघाट, बडपानी, महेकेपार, बोनकट्टा, पुलफुट्टा, छतेरा आदि अनेक गांव है. इन अधिकतम गांवों में ग्रामपंचायत व जिला परिषद द्वारा संचालित पेयजल पूर्ति योजना चलाई जा रही है. अधिक रेती उत्खनन हो रहा है. जिससे ऐसा लगता है कि आनेवाले दिनों मे जनता को पिने का पानी मिलेगा या नहीं. पर्यावरण को भी खतरा उत्पन्न हो गया है. करीब 300 – 400 ट्रक प्रतिदिन रेती भरकर बड़े शहरों में जा रहे है. अनेक जेसिबी मशीन नदी में लगी हुई है.
पाथरी व बोनकट्टा के बिच बने हुए बड़े पुल के पल्लिरो के नजदीक भी उत्खनन किया जा रहा है. जिससे ऐसा लगता है कि यह शानदार पुल आनेवाले दिनों में धराशाही हो जाएगा. मध्यप्रदेश के रेती माफिया महाराष्ट्र की सीमा में आकर महाराष्ट्र के रेती माफिया मध्यप्रदेश की सीमा में जाकर अवैध रेत उत्खनन कर रहे है. भंडारा व बालाघाट जिले का प्रशासन इस अवैध रेती उत्खनन पर नियंत्रण करने में असफल साबित हो रहे है. उधर दुसरी ओर बताया जाता है कि मायल लिमिटेड ने पाथरी घाट को 25 वर्षो हेतु लिज पर लिया है. वह भी नर्धिारित सीमा में उत्खनन नहीं करते हुए अन्य जगह उत्खनन करते है.
मायल के नाम पर अन्य दबंग लोग अवैध उत्खनन कर रेत ले जा रहे है. एवं मालामाल हो रहे है. जब बडे शहरों के मुख्य चौराहे पर स्थित बैंको में पुख्ता सुरक्षा प्रबंध रहते हुए भी डाके पडते है बैंक लुटी जाती है तो खुले आसमान के नीचे नदी की सुरक्षा कौन कर सकता है यह सोचने की बात है. बालाघाट जिले के छोर पर रहने वाले ग्रामवासीयो ने बावनथडी बचाव समिति का गठन किया है. उसी प्रकार भंडारा जिले के ग्रामवासी भी समिति बनाकर संघर्ष करने के लिए तत्पर हो रहे है.
मायल लिमिटेड को भी भूमिगत खदानों में रेती की जगह पावर प्लांट कि राख उपयोग में लाना चाहिए. 10 टन कि क्षमता वाले डम्परो में 40 – 50 टन गिली रेती का परिवहन होने से भंडारा व बालाघाट जिले के सडकों के हाल खराब हो रहे है. केंद्र व राज्य सरकार को चाहिए की नदियो कि सुरक्षा हेतु शघ्रि ही नदी सुरक्षा बल का भी गठन करे. बावनथडी नदी के प्राण लेने पर उतारू इस प्रकरण की सीबीआई जांच होने की आवश्यकता है.