Confusion continues over missing tigress

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 चंद्रपुर: महाराष्ट्र के चंद्रपुर में वन अधिकारियों को ताडोबा अंधारी बाघ संरक्षित क्षेत्र (टीएटीआर) में तलाशी अभियान के दौरान एक मृत बाघ के शव के अवशेष मिले हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि ये इस साल अगस्त में इस क्षेत्र में लापता हुई लोकप्रिय बाघिन ‘माया’ के अवशेष हैं या नहीं, यह विश्लेषण के बाद ही पता चलेगा।

वन अधिकारियों ने कहा कि जिस बाघ के अवशेष मिले हैं, वह नर था या मादा, यह अबतक स्थापित नहीं हो पाया, ऐसे में अभियान के दौरान एकत्र की गयी हड्डियों का नमूना बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय जैव विज्ञान केंद्र में विश्लेषण के लिए भेजा गया है। यह स्पष्टीकरण तब आया है जब मीडिया के एक वर्ग और सोशल मीडिया में यह बात आई कि यह मृत जानवर टी-12 (‘माया’ नामक बाघिन) था।

माया इस साल अगस्त में लापता हो गयी थी जिसके बाद सात अक्टूबर से टीएटीआर के 150 कर्मियों ने उसका पता लगाने के लिए कैमरों और नियमित गश्ती के द्वारा सघन निगरानी अभियान शुरू किया था। एक अधिकारी ने बताया कि ताडोबा और कोलारा रेंज, जहां ‘माया’ विचरण करती थी, के चप्पे-चप्पे को इस अभियान के दौरान खंगाल लिया गया। उन्होंने बताया कि इलाके में टी-12 तो नहीं मिली लेकिन वन टीम को 18 नवंबर को ताडोबा क्षेत्र में एक बाघ के शरीर के अवशेष बिखरे हुए मिले। 

टीएटीआर के क्षेत्रीय निदेशक जितेंद्र रामगांवकर ने कहा, ‘‘ सोशल मीडिया समेत मीडिया में देखा गया कि टीएटीआर द्वारा साझा की गयी सूचना को गलत रूप में लिया गया और यह मान लिया गया कि टीएटीआर प्रशासन ने टी-12 की मौत की घोषणा कर दी है। टीएटीआर कार्यालय ने किसी भी रूप से बाघिन टी-12 की मौत का संकेत नहीं दिया है।”

उन्होंने कहा कि टीएटीआर में और उसके आसपास टी-12 का पता लगाने के लिए नियमित गश्त और जगह जगह लगाये गये कैमरों के जरिये कोशिश जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘ नियमित गश्त के दौरान इकट्ठा की गयी हड्डियों के नमूने को और विश्लेषण के लिए बेंगलुरु के राष्ट्रीय जैवविज्ञान केंद्र में भेजा गया है। ये अवशेष किस जानवर के हैं और वह मादा था या नर, के बारे में एनसीबीएस बेंगलुरू से परिणाम आने आने के बाद पता चलेगा और तब उसे साझा किया जाएगा।”(एजेंसी)