प्रधानमंत्री मोदी और रॉय की प्रतिकात्मक पुतला फूंका, विदर्भ राज्य के लिए विदर्भवादी आक्रमक

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    चंद्रपुर. सैकडों वर्ष पुरानी विदर्भ की मांग के लिए कई समितियों ने स्वंतत्र विदर्भ सक्षम राज्य बन सकता है ऐसा ब्योरा दिया है. परंतु स्वतंत्र विदर्भ के लिए लड़ रहे भाजपा के नेतृत्व में केंद्र सरकार के गृह राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने विदर्भ का प्रस्ताव नही होने का गैर-जिम्मेदाराना जवाब दिया जिसका निषेध करने हेतु मंगलवार 7 दिसम्बर को चंद्रपुर के जटपुरा गेट के पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पूतले के पास जोरदार निर्दशन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मंत्री नित्यानंद राय का प्रतिकात्मक पुतला फूंका गया. 

    विदर्भ राज्य आंदोलन समिति द्वारा पूर्वनियोजित आंदोलन मंगलवार की दोपहर 1 बजे चंद्रपुर के जटपुरा गेट पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास शुरू हुआ. इस समय उन्होंने केंद्र सरकार का कड़ा विरोध किया और विदर्भ केा स्वतंत्र राज्य कराने की घोषणा की. पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी थी. इनर विंग में भी बड़ी संख्या में साधे वर्दी में महिला पुलिस मौजूद थी.

    इस समय कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग समय पर लाई गई मोदी और रॉय की चार प्रतिकात्मक पूतलों को जब्त कर लिया. इसके बाद लाए गए पूतले व अन्य सामग्री पुलिस ने जब्त कर लिया. अंत में कार्यकर्ताओं ने दुपट्टा लेकर उनकी प्रतिमा बनायी व उसे फूंककर आंदोलन सफल बनाया.

    आंदोलन का नेतृत्व विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक एड. वामनराव चटप, विधान सभा के पूर्व उपाध्यक्ष एड. मोरेश्वर टेमुर्डे, किशोर दहेकर, मितीन भागवत, अरूण नवले, सुधिर सातपुते, राजु बोरकर, रमेश नले, सचिन सरपटवार, अंकुश वाघमारे, पपीता जुनघरे, उराडे, कवडु पोटे, शेषराव बोंडे, बंडू राजुरकर, मिलिंद गड्डमवार, व्यंकटेश मल्लेलवार, खेत्री वागदरकर, हरिदास बोरकुटे हरिदस बोरकुटे, पद्माकर मोहितकर, बलीराम खुजे, मधुकर चिंचोलकर, नरेंद्र काकडे, सूरज गावंडे, सचिन देरकर, पंढरी घटे समेत बड़ी संख्या में चंद्रपुर जिले के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. 

    पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच झड़प

    इस दौरान समिति के कार्यकर्ता व पुलिस आपस में भिड़ गए. पुलिस ने चार पुतले कब्जे में लिए. अंत में आंदोलकों ने पूतला जलाकर निषेध व्यक्त किया. उसके बाद समिति नेता एड. चटप, एड. टेमुर्डे को हिरासत में लेकर मुख्यालय ले जाया गया.  इस आंदोलन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने भाग लिया. 

    दिवालीपन की ओर बढ़ रहा राज्य

    महाराष्ट्र सरकार के वर्ष 2020-21 का बजट 9, 511 करोड़ रुपये के घाटे का था.  पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार के राजस्व में बिल्कुल भी वृद्धि नहीं हुई है. बजट और जिला योजना में 67 प्रतिशत की कटौती की गई है. राज्य पर कर्ज, देनदारियों और बकाया का बोझ 6,60,610 रूपए है. पिछले 8 साल से अनुकंपा के आधार पर और कक्षा 3 और 4 की भर्ती के लिए 7 साल से अधिकांश नोकरभरती बंद हैं.

    सिंचाई के लिए कुल 60,000 करोड़ रुपये और जन स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, शिक्षा, ग्रामीण विकास, आदिवासी विकास और समाज कल्याण के लिए 15,000 करोड़ रुपये का बकाया है. इससे राज्य दिवालीपन की ओर बढ रहा है. विदर्भ का बैकलॉग कभी नहीं भरा जा सकता है और अधूरी सिंचाई और अन्य परियोजनाओं को कभी पूरा नहीं किया जा सकता है. इसलिए वक्ताओं ने एक स्वतंत्र विदर्भ राज्य ही एकमात्र विकल्प होने की जानकारी दी. 

    विदर्भ राज्य एक काले पत्थर की पर रेखा – एड. चटप 

    भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने विदर्भ राज्य के लिए कोई प्रस्ताव नहीं होने की बात कहकर विदर्भ के लोगों के घावों पर नमक छिड़का है. एक स्वतंत्र विदर्भ पर जोर देने वाली और भुवनेश्वर में राष्ट्रीय अधिवेशन में एक स्वतंत्र विदर्भ की भूमिका निभाने वाली भाजपा अब विदर्भ मुद्दे पर दोहरी भूमिका निभा रही है.

    सभी रिपोर्टों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विदर्भ न केवल सक्षम हो सकता है बल्कि संतुलन की स्थिति भी हो सकती है और कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता है. अब विदर्भ के नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं और विदर्भ का स्वतंत्र राज्य एक काले पत्थर पर एक सफेद रेखा है.