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    चंद्रपुर. ग्रामीण परिसर के हर गांव में प्राथमिक और उच्च शिक्षा की सुविधा उपलबध नहीं है. नतीजा विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए बाहर गांव जाना पडता है. गोंडपिपरी तहसील के तोहोगांव परिसर के अनेक गांव है जहां के विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए दूसरे तोहोगांव, कोठारी, येनबोडी, बल्लारपुर तक जाना पड़ता है. किंतु कोरोना काल से विद्यार्थियों के लिए बस बंद है.

    नदी नालों में बाढ से किसानों की फसल तबाह हो गई किसान कृषि मजदूर आर्थिक संकट में फंसा है ऐसे में निजी वाहनों से जाने के लिए पैसे नहीं है नतीजा विद्यार्थियों को पैदल की शैक्षणिक संस्थाओं तक जाना पड रहा है. इसलिए बंद की गई बसों को पूर्ववत शुरु करने की मांग लाठी के सरपंच विनोद जगताप ने राज्य परिवहन निगम के डिपो प्रमुख से की है.

    हर अभिभावक को अपने संतानों के शिक्षा की चिंता होती है. उसे बेहतर क्वालिटी शिक्षा मिले और उसका भविष्य उज्जवल हो इसके लिए हर अभिभावक प्रयास करता है. अपनी ओर से विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा संस्था में प्रवेश दिलाता है. तोहोगांव परिसर के पाचगांव, सरांडी, लाठी, पारडी, वामनपल्ली आदिवासी बहुल गांव है. तोहोगांव में आदिवासी आश्रमशाला होने से परिसर के विद्यार्थी वहां शिक्षा ग्रहण करते है.

    वहीं कुछ विद्यार्थी कोठारी, येनबोडी, बल्लारपुर बेहतर शिक्षा की उम्मीद में जाते है. बाहर गांव में शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या 100 के आस पास है. यह लोग जाते समय पर किसी प्रकार बस से जाते है किंतु लौटने के लिए बस न होने की वजह से विद्यार्थियों को भारी असुविधा होती है. विद्यार्थियों को होने वाली असुविधा की ओर रापनि को ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि बसों के अभाव में विद्यार्थियों को पैदल जाना पडता है. 

    निजी वाहनों का किराया अधिक

    लौटते समय पर रापनि की बस न मिलने की वजह से कई बार विद्यार्थियों को पैदल की बजाय निजी वाहनों का सहारा लेना पडता है किंतु बस की तुलना में निजी वाहनों का किराया अधिक होता है उसी प्रकार निजी वाहनों में यात्रियों को ठूंस ठूंस कर भरा जाता है जिससे विशेष रुप से छात्राओं को भारी असुविधा होती है. इसलिए बसों को पूर्ववत शुरु करने की मांग सरपंच ने की है.