भद्रावती (सं.). तहसील के चिरादेवी में पिछले एक महीने से बाघ दिन के समय चिरादेवी के खेत परिसर में दिनदहाड़े घूम रहा है और किसानों व खेत मजदूरों में डर का माहौल है. इस अवसर पर खेती-किसानी का काम युद्धस्तर पर चल रहा है और किसान खेतों में जाने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं. मजदूरों ने कृषि कार्य से मुंह मोड़ लिया है. जिसके कारण खेतों में मौजूद फसलें सूखने की कगार पर है. चिरादेवी गांव में एक बड़ा डेयरी उद्योग है. इसके साथ ही बकरी पालन का व्यवसाय भी काफी अच्छा है. लोगों को किसानों के मवेशियों और बकरियों को चराने के लिए परती भूमि और जंगल पर निर्भर रहना पड़ता है. लेकिन ठीक उसी जगह पर बाघ होने से चरवाहे को मवेशी चराने के लिए कहां जाएं, यह सवाल इनके सामने खड़ा है.
8 दिन पहले चिरादेवी के किसान प्रकाश आत्राम की एक गाय को बाघ ने निवाला बनाया था. इसी बीच गोरजा की दो बकरियों का शिकार बाघ ने किया. जबकि यह कहानी ताज़ा थी कि रविवार की शाम किसान विट्ठल उपरे यह घर की ओर मवेशी लेकर जा रहे थे, तभी बाघ ने उन पर हमला कर दिया. लेकिन सावधानी बरतने से वे बाल-बाल बच गए हैं. साथ ही आए दिन हमले होते रहते हैं और अगर बाघ ने मवेशीयो पर हमला कर दिया तो किसानों का दूध कारोबार संकट में पड़ जाएगा. आज बड़ी संख्या में किसानों में भय का माहौल है. चिरादेवी, गवराला, गोरजा के किसानों को जान जोखिम में डालकर कृषि कार्य करना पड़ रहा है. चीरादेवी के किसानों ने मांग की है कि वन विभाग इस ओर ध्यान दे और बाघ का बंदोबस्त करें.
चिरादेवी के खेतों में पिछले एक महीने से बाघ का आतंक चल रहा है. आए दिन जानवरों पर हमले हो रहे हैं. पिछले रविवार की शाम, जब मैं मवेशियों को घर ले जा रहा था, मुझ पर बाघ ने हमला कर दिया. सावधानी बरतते हुए मैं बाल-बाल बच गया. चार-पांच किसानों ने उन्हें खदेड़ दिया. अगर ऐसे हमले जारी रहे तो हम जानवरों को कैसे खिलाएंगे? वन विभाग को इस ओर ध्यान देकर बाघ का बंदोबस्त करना चाहिए.
-विट्ठल उपरे, मवेशी चरवाहा, चिरादेवी.