यवतमाल. जिले में डेगू बिमारियों का संक्रमण बढने लगा है, यवतमाल व कलंब तहसील इस बिमारी से ज्यादा प्रभावित हो रहे है. इस बीच आर्णी तहसील के मालेगांव निवासी 10 वर्ष के बच्ची का डेंगू के बुखार से मौत होने हो गई है. वहीं महागांव शहर में डेंगू से एक और युवक की मौत के बाद अब मरने वालों की संख्या पांच पर पहूंच गई है. सरकारी आंकडों के अनुसार जिले में 213 डेगू के मरीज है. साथ ही अनेक मरीजों नीजी अस्पताल में उपचार शुरू हैं.
महागाव तहसील में डेंगू से 5 वी मौत
महगाव तहसील में वायरल बीमारी बड़े पैमाने पर फैल गइै है. डेंगू पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, महागांव शहर में डेंगू से एक और युवक की मौत के बाद अब मरने वालों की संख्या पांच पर पहूंच गई है. एक सप्ताह में पांचवीं जान जाने की वज से सरकारी स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता उजागर हो रही है.
रविवार 8 अक्टूबर को मुडाणा निवासी संघर्ष संजय बरडे (15) की मौत हुई, इसे पहले महागाव तहसील के ओंकार प्रभाकर नरवाडे (18) इस युवक का 7 अक्टूबर को नांदेड के नीजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हुई, साथ ही डोगरगांव के निवासी सुहाना सय्यद इरफान (10), शायान शेख वाजिद (6 माह) , हिवरा (संगम) निवासी रितिक्षा उर्फ सुरेखा सोबना राखडे (9 माह) की 26 सिंतबर को मौत हुई. अब तक तहसील में पाच की मौत डेगू से होने की वजह से नागरिकों में दहशत निर्माण हो गई हैं.
आर्णी में 10 साल की बच्ची की डेंगू से मौत
आर्णी तहसील के मालेगांव निवासी 10 वर्ष के बच्ची का डेंगू के बुखार से मौत होने हो गई है. जागृति बाबाराव चव्हाण ऐसे मृतक बच्ची का नाम हैं. तहसील के मालेगांव निवासी जागृति बाबाराव चव्हाण को पिछले दो दिनों से लगातार बुखार आ रही थी.तब उसे आर्णी के नीजी अस्पताल में दाखिल किया.
इस अस्तताल के डॉक्टरों ने बालिका की जांच करने की शुरूआत की. लेकिन जांच के रिर्पोट आने के बाद उपचार शुरू करने से पहले ही उसके मुह से फेस आने लगा. तब डॉक्टरों ने मरीज की हालत को देखते हूए आर्णी के बालरोग तज्ञ तथा सिनियर डॉक्टर पुछताछ की. तब उस सीनीयर डॉक्टर ने सरकारी अस्पताल में भेजने के लिए कहा. तब उसे सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही जागृति की मौत हुई.
गौरतलब है कि वायरल संक्रमण, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि बिमारी के मरीज अस्पताल में इलाज के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती रहे है इस वजह से अस्पताल फुल हो रहे है. उसके बावजूद भी तहसील स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी भी तरह की जनजागृति तथा उपाय योजना नही हो रही है. पिछले देढ माह से तहसील स्वास्थ्य अधिकारी का पद प्रभार पर है.
डेंगू के तहसीलवार आँकड़े
यवतमाल 63, कलंब 24, बाभुलगाव 9, दारव्हा 9, दिग्रस 1, आर्णी 1, नेर 4, पुसद 1, उमरखेड 11, महागाव 8, रालेगाव 20, घाटंजी 13, पांढरकवडा 37, मारेगाव 1, झरी 6, वणी 5 कुल 213 डेग्यू के मरीज है.
किसी निजी अस्पताल में डेंगू से संक्रमित मरीज पाया जाता है, तो इसकी सूचना तुरंत संबंधित जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय को दी जानी चाहिए. साथ ही डेंगू के निश्चित निदान के लिए केवल एलायझा जांच सरकार द्वारा स्वीकार है. सरकारी वैद्यकिय महाविद्यालय में सेंटिनल सेंटर कार्यान्वित किया है. निजी चिकित्सकों ने डेंगू मरीजों पर उपचार करने के लिए डेंगू रैपिड टेस्ट करे.
डॉ. टी. ए. शेख (जिला मरेलिया अधिकारी)
जन प्रतिनिधियों के खिलाफ नागरिकों में आक्रोश
महागांव तहसील में का स्वास्थ्य अधिकारी का पद डेढ़ साल से खाली है. इस महत्वपूर्ण पद का संचालन प्रभार के भरोसे किया जा रहा है. तहहसील में डेंगू से पांच लोगों की मौत हो गई. विधायक व सासंद नींद ले रहे क्या ऐसा सवाल नागरिकों की ओर से उपस्थित किया जा रहा हैं. महागाव स्वास्थ्य प्रशासन भी इस जिम्मेदारी से बचने की पूरी कोशिश कर रहा है. ऐसे आरोप नागरिकों की ओर से लगाया जा रहा हैं.
उक्त मरीज की जांच करने पर उस मरीज को पीछले तीन दिनों से बुखार होने की बात निर्दशन में आयी. इस वजह से प्रथम रक्त का सैम्पल जांच के लिए भेजा, उसका रिर्पोट आने के बाद उपचार शुरू करेगें ऐसी जानकारी मरीज के रिश्तेदारों को दी. लेकिन रिपोर्ट आने के बाद मरीज के मुंह को फेस आने लगा. मरीज की हालत नाजूक बन रही थी. तब डॉक्टर सुनिल भावरे करे फोन कर पुछताछ की. उन्होनें ग्रामीण अस्पताल में भेजने के लिए कहा. तब उसे तत्काल भेजा गया.
डॉ. विक्रम ठव्वकर (आर्णी)