तीन माह से बाढग़्रस्तों का नॅशनल हाईवे पर ड़ेरा, पुनवर्सन की मांग पर अड़े है बाढ़पिडि़त

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    गड़चिरोली. जुलाई माह में सिरोंचा तहसील में बाढ़ की स्थिति निर्माण होकर  बाढ़ का पानी अनेक गांवों में घुसने के कारण हजारों परिवारों को अपना गांव छोडऩे की नौबत आन पड़ी थी. ऐसे में तहसील के आखरी छोर पर बसा सोमनपल्ली यह गांव पुरी तरह बाढ़ से प्रभावित होने के बाद ग्रामीणों ने अपना घर छोड़कर नॅशनल हाईवे पर झोपड़े तैयार कर जीवनयापन कर रहे है.

    इस मामले को अब लगबग तीन माह पूर्ण होते आ रहे है. लेकिन इन बाढग़्रस्तों की प्रमुख मांग की ओर ओर न तो प्रशासन ध्यान दे रहा है, और न ही जनप्रतिनिधि. जिससे सोमनपल्ली के बाढग़्रस्त नागरिक बुनियादी सुविधा के अभाव में पिछले तीन नॅशनल हाईवे पर झोपड़े तैयार कर रामभरोसे जीवनयापन करने पर मजबूर हो गये है.  

    अंधेरे में जीवनयापन करने में विवश लोग

    लगबग तीन माह पहले  निर्माण हुई बाढ़ स्थिति के बाद सोमनपल्ली गांव के अनेक परिवार अपना घर छोड़कर नॅशनल हाईवे पर झोपड़े निर्माण कर जीवनयापन कर रहे है. अब करीब देढ़ माह की कालावधि पूर्ण हो गयी है. बावजूद इसके नॅशनल हाईवे पर बसे सोमनपल्ली के बाढग़्रस्तों के लिये अब तक स्वास्थ्य, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधा नहीं पहुंच पायी है. विशेषत: विभिन्न राजनितिक दलों के पदाधिकारी व सामाजिक संगठनों द्वारा बाढ़ स्थिति के दौरान केवल जीवनाश्यक सामग्री का वितरण अपनी जिम्मेदारी से पिछे हट गये है. तब से लेकर अब तक कोई भी जनप्रतिनिधि उनकी समस्या जानने के लिये नहीं पहुंचा है. 

    पुनवर्सन की मांग पर अड़े है बाढग्रस्त

    प्रति वर्ष बारिश के दिनों में नदी में बाढ़ की स्थिति निर्माण होकर सोमनपल्ली गांव में बाढ़ का पानी घुस जाता है. जिसके कारण किसानों के धान फसल समेत नागरिकों के जीवनाश्यक सामग्री का बड़े पैमाने पर नुकसान होता है. इस वर्ष भी निर्माण हुई बाढ़ की स्थिति के चलते सोमनपल्ली गांव के लोगों का भारी नुकसान हुआ है. जिससे ग्रामीण अपना गांव छोड़कर नॅशनल हाईवे पर बस गये है. अब गांव का पुनवर्सन करने की मांग पर बाढग़्रस्त अड़े है. 

    तहसील प्रशासन का हरसंभव प्रयास:शिकतोड़े

    सिरोंचा के तहसीलदार जितेंद्र शिकतोड़े ने बताया कि, बाढ़ स्थिति के दौरान नॅशनल हाईवे पर बसे बाढग़्रस्तों के लिये अनाज किट का वितरण किया जा रहा था. वहीं संपूर्ण अगस्त माह तक नियमित जलापुर्ति की जा रही थी. लेकिन गांव में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध होने के कारण 1 सितंबर से वहां पर जलापुर्ति करना बंद कर दिया गया है. वहीं तहसील प्रशासन बाढग़्रस्तों को हरसंभव सहयोग करने का प्रयास कर रहा है. ऐसी बात उन्होंने कही.