राज्य समेत देश में मिठास पहुंचा रहे कोरची के जामुन

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    • जामुन संकलन करने में जुटे कोरची के किसान 

    गड़चिरोली. भले ही गड़चिरोली यह जिला उद्योग विरहित है. लेकिन इस जिले की वनसंपदा जिले के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के लोगों को भुके नहीं मरने देती. कुदरती वरदान के रूप में इस जिले को वनसंपदा प्राप्त हुई है. वनोपज के माध्यम से जिले के अनेक परिजनों का गुजर-बसर होता है. जिले के आखरी छोर पर बसी कोरची तहसील में संपूर्ण जिले समेत राज्य में भी जामून के उत्पादन के लिये परिचित है. इस तहसील में सर्वाधिक जामून का उत्पादन लिया जाता है.

    विशेषत: इस तहसील के जामुन काफी स्वादिष्ठ भी है. इस वर्ष भी कोरची तहसील में जामून का उत्पादन होकर वर्तमान में गड़चिरोली शहर में कोरची के मिठे जामुन बिक्री के लिये पहुंच गये है. यहां शहर के लोग बड़े चाव से जामुन की खरीदी कर रहे है. और यह जामून आगे नागपुर, चंद्रपुर समेत राज्य के विभिन्न राज्यों में भी पहुंच रहे है. 

    बाहर राज्यों में भी फेमस है जामुन 

    कोरची तहसील का जामुन न केवल जिला और विदर्भ तक ही सिमित है, बल्कि इस तहसील के जामुन की मिठास देश के विभिन्न राज्यों में पहुंची है. कोरची के जामून खरीदने के लिये छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश राज्य समेत अन्य राज्यों के व्यापारी ट्रक लेकर कोरची में पहुंचते है.  जिससे तहसील के नागरिकों का अच्छा मुनाफा होता है. लेकिन पिछले दो वर्षे से कोरोना संक्रमण के चलते उत्पादन होने के बावजूद भी मांग नहीं होने के कारण कोरची का जामून बाहर राज्यों में नहीं पहुंच पाया था. लेकिन इस वर्ष उत्पादन के साथ किसानों की वित्तीय आय भी अच्छी होने की बात कही जा रही है.

    130 में से 80 गांवों के लोग करते है जामुन का उत्पादन

    जिले के आखरी छोर पर बसी कोरची तहसील में कुल 130 गांव है. इन गांवों के अधिकत्तर नागरिक खेती व्यवसाय करते है. लेकिन जामून के सीजन में 130 में से करीब 80 गांवों के लोग जामून का संकलन कर बिक्री करने का व्यवसाय करते है. जिसके माध्यम से उन्हें अच्छी आय मिलती है. विशेषत: गत वर्ष पालकमंत्री ने कोरची के जामून के लिये नागपुर जैसे बड़े शहर में बाजार भी उपलब्ध कराया है. ऐसे में इस वर्ष कोरची तहसील में जामून का संकलन अधिक होने की बात कही जा रही है.

    जामून पर प्रक्रिया उद्योग निर्माण करें:अग्रवाल

    अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार विरोधी समिति के कोरची तहसील अध्यक्ष आशिष अग्रवाल ने बताया कि, तहसील में बड़े पैमाने पर जामून का उत्पादन लिया जाता है. ऐसा होते हुए भी जामून पर प्रक्रिया करनेवाला उद्योग तैयार करने की ओर सरकार अनदेखी कर रही है. जिसके कारण नागरिकों को बारह माह रोजगार से वंचित रहना पड़ रहा है. यदि प्रक्रिया उद्योग निर्माण होगा तो, गरीब लोगों के हाथों को रोजगार मिलेगा. जिससे कोरची में जामून प्रक्रिया करनेवाला उद्योग निर्माण करना जरूरी है. ऐसी बात उन्होंने कही.