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गड़चिरोली. आदिवासी समाज किसी धर्म से बंधा नहीं है. लेकिन डी-लिस्टिंग के माध्यम से सरकार इस समुदाय को हिंदू धर्म से जोड़कर आदिवासी समुदाय की आबादी को कम करने की साजिश रची है, ऐसा आरोप आदिवासी विकास परिषद के पदाधिकारियों ने आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लगाया है. इस समय प्रदेश महासचिव केशव तिराणिक, प्रदेश महासचिव डा. नामदेव किरसान, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वर्षा अत्राम, प्रदेश महासचिव कुसुम आलम, विदर्भ महिला अध्यक्ष प्रा. सुषमा राऊत समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.

पदाधिकारियों ने बताया कि आदिवासी समुदाय देश का मूल निवासी है, इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के अनुसार अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है, ताकि वह आत्मसम्मान के साथ जी सकें. आरक्षण धर्म के नाम पर नहीं बल्कि जाति और जनजाति समूह के नाम पर है. लेकिन स्थापित सरकार आदिवासियों को गुमराह कर रही है. डी-लिस्टिंग का मुद्दा आदिवासियों को उनके राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और बुनियादी सांस्कृतिक अधिकारों और हकों से वंचित कर रहा है. इसलिए इस डी-लिस्टिंग को तुरंत रोका जाए.

धनगर समुदाय को आदिवासियों में शामिल करने की बात करने वाले मनोज जारांगे पाटिल की भी निंदा की. इस समय राज्य संयुक्त सचिव बाबूराव जुमनके, जिला अध्यक्ष विट्ठलराव कोडापे, जिला महासचिव गुलाबराव मडावी, युवा जिला कार्यकारी अध्यक्ष विनोद मडावी, जिला कोषाध्यक्ष सेमनशाहा आत्राम, कार्यकारी अध्यक्ष वामनराव जूनघारे, मदन मडावी, गीता सलामे, पुष्पा मडावी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.