अनेक गांवों को पक्की सड़क की प्रतीक्षा, बारिश में कीचड़ से आवागमन कर रहे लोग

Many villages , road, people traveling through mud in the rain

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    गड़चिरोली. देश को स्वाधिनता मिले 75 वर्ष बित चुके है. इस वर्ष समुचे देश ने स्वाधिनता का अमृत महोत्सव मनाया है. लेकिन आज भी जिले दुर्गम क्षेत्रों के अधिकांश गांवों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. जिले के अनेक गांव ऐसे है, जहां पहुंचने के लिए प्रशासन ने अब तक पक्की सड़क निर्माण नहीं की है. जिसके चलते संबंधित गांवों के आदिवासी लोगों के कच्ची सड़क पर ही सफर करने को मजबूर है. इन दिनों बारिश के दिन शुरू होने के कारण लोग किचड भरे मार्ग से आवागमन कर रहे है. जिससे ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 

    देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूर-दराज के गांवों को शहरों से जोडऩे के लिये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना कार्यान्वित की है. जिसके लिए स्वयं प्रधानमंत्री की निगरानी में एक मोबाईल एप भी बनाया गया है. जिन गांवों में पक्की सड़क नहीं हैं, ऐसे गांवों के फोटो इस एप में अपलोड़ कर सरकार को जानकारी उपलब्ध करानी है. सरकार द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देश दिये जाने के बावजूद जिले के दुर्गम क्षेत्रों के अनेक गांवों में पहुंचने के लिये पक्की सड़कों का निर्माणकार्य नहीं हो पाया है.

    जिला परिषद, जिलाधिकारी कार्यालय समेत पुलिस अधीक्षक कार्यालय में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रति वर्ष विकास के नाम पर करोड़ों रूपयों की निधि उपलब्ध करायी जाती है. इस निधि का उपयोग गांवों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु करने के निर्देश सरकार ने दिये है. बावजूद इसके अनेक गांव बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे है. इन दिनों बारिश का दौर शुरू है. ऐसे में नागरिक किचड़भरे मार्ग से आवागमन करने को मजबूर है. 

    दुर्गम क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

    देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया. देश को स्वाधिनता मिले 75 वर्ष बित चुके है. किंतू गड़चिरोली जिले का पिछड़ापन अबतक समाप्त नहीं हो पाया है. गड़चिरोली जिले के दुर्गम क्षेत्रों में अनेक गांव आज भी पिछडेपन का जीवन व्यतित कर रहे है. अनेक गांवों में सड़क, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, शिक्षा आदि की समस्याएं है. आज देश प्रगतिपथ पर आगे बढ़ रहा है. किंतू जिले की विकास रफ्तार आज भी धिमि है. भलेही सरकार द्वारा आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास के नाम पर करोड़ों रूपयों का निधि देने का दांवे किए जाते है. किंतू दुर्गम क्षेत्रों की स्थिती देखे तो यह करोड़ कहां विलुप्त हुए, ऐसा सवाल निर्माण होता है.