suspended,

    Loading

    गोंदिया. महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत विभिन्न प्रकार के काम किए जाते है. इसी श्रृंखला में देवरी तहसील के डवकी में गोठे का निर्माण किया गया था जिसमें हेराफेरी होने की शिकायत जिलाधीश तक की गई.  जिलाधीश नयना गुंडे ने इस प्रकरण की जांच के बाद  दोषी पाए गए मग्रारोहयो के 3 कर्मचारियों को निलंबित किया है. विशेष बात यह है कि इसमें एक पंस का सभापति भी है. देवरी पंस अंतर्गत डवकी ग्रापं के तहत गोठे का बांधकाम किया गया था. उस काम में सरपंच और सचिव ने हेराफेरी की है.

    इस प्रकरण की जिलाधीश तक शिकायत पहुंचने के बाद बारीकी से जांच की गई. जिसमें देवरी पंस के मग्रारोहयो विभाग में कार्यरत सहायक कार्यक्रम अधिकारी गौतम साखरे, तांत्रिक अधिकारी मनोज बोपचे और डाटा एंट्री ऑपरेटर मुनेश्वर भूपेश टेंभरे दोषी पाए गए. उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. डवकी में गाय के गोठे की निधि में सरपंच और सचिव द्वारा मिलीभगत कर हेराफेरी करने की शिकायत की गई थी. इसकी गट विकास अधिकारी ने जांच की.

    जिसमें सहायक कार्यक्रम अधिकारी गौतम साखरे ने मवेशियों के गोठे के प्रस्ताव की बिना जांच कर काम के हाजरी पत्रक निकालने, लाभार्थियों को रकम भुगतान के पूर्व जांच नहीं करने का खुलासा हुआ है. फिलहाल गोरेगांव पंस के सभापति तथा तत्कालीन देवरी पंस के मग्रारोहयो विभाग के तांत्रिक अधिकारी (कृषि) मनोज बोपचे ने काम की साईड पर बिना प्रत्यक्ष भेंट देकर गिनती किताब में दर्ज करना, शुरूआत के काम की व बाद के काम को पूर्व में दर्ज नहीं करने की बात स्पष्ट हुई.

    इसी तरह क्लर्क कम डाटा एंट्री ऑपरेटर मुनेश्वर टेंभरे द्वारा सामग्री के बिल में मूल क्रमांक व दिनांक में स्वयं  मर्जी से परिवर्तन करने की जानकारी सामने आई है.  जिससे तीनों कर्मचारियों के हेराफेरी करने से उनकी सेवा अनुबंधित पद्धती से होने के बावजूद शासकीय निधि की हेराफेरी करने में सहयोग करने पर निलंबन की कार्रवाई की गई है.   

    अन्य कामों की भी हो जांच

    मनरेगा अंतर्गत पगडंडी मार्ग, खेती कार्य, नाली सरलीकरण, तालाब गहराईकरण, गोठा निर्माण  आदि विभिन्न प्रकार के काम किए जाते है. इस कामों पर संस्था के माध्यम से अनेक अनुबंधित कर्मचारी नियुक्त किए गए है. गोंदिया तहसील सहित जिले की अन्य तहसीलों में बड़े पैमाने पर काम शुरू हैं. उनमें लापरवाही बरतने पर शिकायत सामने आई हैं  लेकिन वह शिकायत प्रशासन तक नहीं पहुंचने से अनेक कामों के फर्जी बिल निकलने की चर्चा है. जिससे प्रशासन ने मनरेगा अंतर्गत हुए कामों की जांच करना आवश्यक हो गया.