ST Strike
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    • कर्मचारी अपनी भूमिका पर अडिग
    • आज भी न्यायालय का कोई निर्णय नही

    गोंदिया. महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम का शासन में विलय हो इसके लिए निगम के कर्मचारी 27 अक्टूबर से आंदोलन कर रहे है. इस आंदोलन को अब 2 माह हो गए है. जिससे जिले के दोनों डिपो की बस सेवा पुर्णत: ठप पड़ी है. इन दोनों डिपो में गिनती के कर्मचारी काम पर है. जबकि अधिकांश कर्मचारी आंदोलन में शामिल है.

    विशेष बात यह है कि दोनों डिपो में चालक आंदोलन में होने से बस चलाने वाला कोई नहीं है. फलस्वरुप बस डिपो में खड़ी है. निगम का शासन में विलीन हुए बिना आंदोलन वापस नहीं होगा. इस भूमिका पर कर्मचारी अडिग है.

    56 कर्मचारियों पर कार्रवाई

    महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों ने शुरु किए आंदोलन के बाद जिले में दोनों डिपो के 56 कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है. इसमें गोंदिया डिपो के 24 व तिरोड़ा डिपो के 32 कर्मचारी है.

    शासन सेवा में लिए बिना पीछे नहीं हटेंगे

    इस संबंध में रापनि कर्मचारी सईद शेख ने बताया कि हम हमारी न्यायोचित मांग के लिए आंदोलन कर रहे है. निगम का शासन में विलय नहीं हो जाता तब तक पीछे नहीं हटेंगे. हमारे इस निर्णय को सर्वसामान्य नागरिकों का भी समर्थन है. निगम का विलीन होने पर यात्रियों को भी राहत मिलेगी. 

    इसी तरह अमोल काजले का कहना है कि निगम का राज्य शासन में विलय हो इसके लिए यह आंदोलन शुरु है. हमारे दर्द में नागरिकों का भी प्रतिसाद है. उन्हें हमारी समस्या की जानकारी है. जिससे निगम का विलय नहीं हो जाता तब तक यह दर्द शुरु ही रहेगा.

    बस सेवा पुर्णत: बंद

    जिले के गोंदिया व तिरोड़ा डिपो के अधिकांश कर्मचारी आंदोलन में होने से बस सेवा पुर्णत: बंद है. सभी बस डिपो के परिसर में खड़ी है. इन बस को चलाने वाला कोई नहीं है. जिससे सर्वसामान्य को एसटी की यात्रा से वंचित रहना पड़ रहा है.

    सर्वसामान्य को हो रही परेशानी उसका क्या?

    इस आंदोलन के संबंध में रमेश ठाकरे ने बताया कि अब एसटी कर्मचारियों के आंदोलन को 2 माह हो गए है. तब से एसटी की सेवा बंद होने से सर्व सामान्य लोगों को परेशानी हो रही है. अन्य यात्री वाहनों से यात्रा करनी पड़ रही है. वह सुरक्षित नहीं होता. सर्वसामान्य लोगों की परेशानी को ध्यान में रखकर इसका समाधान होना जरुरी है. 

    इसी तरह मंगेश बरईकर ने बताया कि एसटी कर्मचारियों का आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. जिससे एसटी सेवा 2 माह से बंद पड़ी है. फलस्वरुप यात्रियों को निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है. जिससे कर्मचारियों के आंदोलन का अब हल निकलना जरूरी हो गया है. पिछले दो माह के आंदोलन से यात्रियों के हाल बेहाल हो गए है.

    अपनी मांग पर अडिग डीपो कर्मियों ने न्यायालय में निगम के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई 5 जनवरी को थी लेकिन न्यायालय ने इस याचिका पर कोई भी फैसला न सुनाते हुए अगली तारीख निश्चित की है. 

    गोंदिया डीपो प्रमुख सहषराम नैकाने ने बताया कि डीपो में आंदोलन के दौरान पहले चरण में जिन 10 कर्मियों को निलंबित किया गया था उन्हें शोकॉज नोटीस भेजा गया है.