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    गोंदिया. जिप व पंस के चुनाव 3 महीने पूर्व हुए है. लेकिन अब तक संस्थाओं में सत्ता स्थापना का मुहूर्त शासन स्तर पर नहीं निकला है. जिससे नवनिर्वाचित सदस्यों ने ज्ञापन के माध्यम से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद के चुनाव लेने आग्रह किया है. इसी श्रृंखला में दो दिन पूर्व ही पंस सभापति पद के आरक्षण घोषित किए गए है.

    जिससे कुछ ही दिनों में सत्ता स्थापन होगी यह स्पष्ट हो गया है और  जिले में सभी राजनीतिक पार्टियों में हलचलें शुरू हो गई हैं. वहीं दूसरी ओर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सभापति पद पर नजरें लगाकर बैठे लोगों ने अपनी गोटियां बिछाना  शुरू कर दिया है.  जिप गोंदिया के 53 व 8 पंस की 106 जगहों के लिए दिसंबर-जनवरी महीने में चुनाव हुए है.

    इस चुनाव के बाद ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सामने रखकर सत्ता स्थापना में विलंब किया गया. इस बीच शासन स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. जिससे और कितने दिन स्थानीय स्वराज्य संस्था पर प्रशासक राज रहेगा? ऐसा सवाल जिलावासियों ने उपस्थित किया है.

    जिप पर सत्ता किसकी

    जिप के चुनाव में जनता ने किसी भी एक पार्टी को सत्ता के लिए जनादेश नहीं दिया है. भाजपा  सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है. फिर भी सत्ता से एक कदम पीछे रह गई लेकिन जिप के सभागृह में आने वाले 2 निर्दलीय सदस्य यह भाजपा के बागी है. जिससे जिप की सत्ता स्थापना के लिए भाजपा का पक्ष भारी माना जा रहा है.

    लेकिन जिप के राजनीतिक इतिहास में अब तक जो घटा है वह आगे भी घट सकता है. इस पर संदेह व्यक्त करते हुए कही आघाड़ी की सत्ता स्थापन तो नहीं होगी. ऐसी चर्चा शुरू हो गई है. जिप में भाजपा 26, राकां 8, भारतीय कांग्रेस 13, चाबी संगठन 4 व 2 निर्दलीय सदस्यों का समावेश है.  

    7 जून के पूर्व जिप की पद स्थापना करें: हायकोर्ट का निर्देश

    जिप व पंस के चुनाव होकर 3 महीने की अवधि बीत जाने के बावजूद पद स्थापना नहीं की गई है. जिससे जिप सदस्य एड.माधुरी रहांगडाले, संजय टेंभरे व भाजपा के सभी सदस्यों ने नागपुर हायकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.