गोंदिया. पिछले 2 सप्ताह से गर्मी शुरू होने के साथ ही मच्छरों की संख्या काफी बढ़ गई है. इन मच्छरों के प्रकोप से शहरवासी परेशान हैं. इन मच्छरों पर नियंत्रण के लिए नप प्रशासन ने वार्ड में मच्छर निरोधक दवा का छिड़काव शुरू कर दिया है, लेकिन एक गंभीर मामला सामने आया है कि कई वर्षों से नप प्रशासन के पास अपनी फॉगिंग मशीन नहीं है.
शहर में मच्छरों से लोग परेशान
2 सप्ताह पहले शीत लहर कम हो गई हैं और गर्मी शुरू हो गई है. दिन-ब-दिन तापमान बढ़ता जा रहा है, सूरज की तपिश बढ़ती नजर आ रही है. ठंड का मौसम कम होते ही शहर में मच्छरों की भरमार हो गई है. मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से बच्चे, बूढ़े और पूरे शहरवासी परेशान हैं. शाम होते ही मच्छरों की संख्या बढ़ जाती हैं और नागरिकों का घरों के बाहर और सड़कों पर खड़ा होना मुश्किल हो जाता है. इन मच्छरों से मलेरिया, डेंगू आदि की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन नगर परिषद प्रशासन ने पिछले कई दिनों से मच्छरों पर नियंत्रण के लिए मच्छर निरोधक दवा का छिड़काव नहीं किया है. मच्छरों की संख्या काफी हद तक बढ़ गई है. कुछ दिन पहले शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं और पूर्व पार्षदों ने नप के मुख्याधिकारी करण चव्हाण को पूरे शहर में छिड़काव और फॉगिंग मशीनों के माध्यम से मच्छरों पर नियंत्रण करने ज्ञापन सौंपा था.
नप प्रशासन ने कुछ चयनित वार्डों में मच्छरों पर नियंत्रण के लिए वार्डों की नालियों में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा मच्छर निरोधक दवाओं का छिड़काव शुरू कर दिया था. उल्लेखनीय यह है कि नप के पास अपनी फॉगिंग मशीन ही नहीं है. नप के स्वास्थ्य विभाग ने जिला मलेरिया विभाग से 5 फॉगिंग मशीन उपलब्ध कराने की मांग की है. कुछ दिनों के लिए फॉगिंग मशीनें उधारी पर ले ली गईं.
खराब पड़ी है मशीन
नगर परिषद के पास 2 फॉगिंग मशीनें थीं, लेकिन वे बहुत पुराने हो गए और असफल हो गए. जिससे उन मशीनों से इसका छिड़काव नहीं किया जा सकता. शहर के कई हिस्सों में नालियों की सफाई नियमित रूप से नहीं होती है. साफ-सफाई की कमी के कारण नालियां सीवेज से भरी हुई हैं. जिससे मच्छरों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है. लेकिन नप प्रशासन इसे नजरअंदाज कर रहा है.