प्रकल्पग्रस्तों ने बोल दिया धावा, विमानतल परिसर के समक्ष किया घर कामों का भूमिपूजन

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    गोंदिया. पिछले 15 वर्षों से प्रकल्प ग्रस्तों का पुनर्वसन करने के नाम पर केवल समयकाटू नीति अपनाने से त्रस्त होकर बिरसी स्थित 106 प्रकल्प ग्रस्तों ने आखिरकार बिरसी विमानतल के प्रवेश द्वार के समक्ष खुली जगह पर धावा बोलकर घरों के निर्माण कार्य का भूमिपूजन कर काम की शुरुआत की है.

    इस समय कोई अनुचित घटना न हो, इसके लिए पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त किया गया था. उल्लेखनीय है कि गोंदिया तहसील अंतर्गत बिरसी विमानतल से प्रकल्पग्रस्त होने वाले 106 परिवार पिछले 15 वर्षों से पुनवर्सन की प्रतिक्षा कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने अनेक बार जिला प्रशासन व बिरसी विमानतल प्रधाधिकरण को ज्ञापन दिया. इतना ही नहीं समय समय पर धरणा, मोर्चा व आंदोलन किए गए लेकिन अब तक पुनर्वसन नहीं किया गया है.

    जिससे उन पर खुले में रहने की नौबत आ गई है. अपने अधिकार वाले घर छिन जाने से पिछले 15 वर्षों से वे झोपडियों में रहने के लिए विवश है. जबकि इन झोपडियों की स्थिति अब बिकट हो गई है और कभी भी ढहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर इन प्रकल्प ग्रस्तों को शासन ने मकान निर्माण करने के लिए प्लाट उपलब्ध नहीं कराए हैं. वह कब उपलब्ध होंगे  इस संदर्भ में कोई आश्वासन नहीं दिया गया.

    जिससे और कितने दिनों तक इस तरह का  जीवन जिया जाए. ऐसा सवाल करते हुए प्रकल्प ग्रस्तों ने विमानतल के ठीक प्रवेश द्वार के समक्ष खुली जगह पर घरों के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया.  इस समय प्रकल्प ग्रस्तों के परिवार वाले बड़ी संख्या में उपस्थित थे. इसके बादजूद प्रशासन की कोई गतिविधियां दिखाई नहीं दी है. जिससे विमानतल परिसर में ही तंबू लगाकर रहने की शुरुआत करेंगे. ऐसा संकल्प भी प्रकल्प ग्रस्त परिवारों ने लिया है. 

    जनप्रतिनिधियों के आश्वासन झूठे 

    विमानतल का निर्माण कार्य होने से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए है. इस प्रकल्प से प्रकल्प ग्रस्त होने वालों को वर्षों से जन प्रतिनिधिनयों व प्रशासन के माध्यम से केवल झूठे आश्वासन दिए जा रहे हैं. जिससे इन दोनों पर प्रकल्प ग्रस्तों का विश्वास नहीं रह गया है. इतना ही नहीं प्रकल्प ग्रस्तों ने असंतोष व्यक्त किया है और इसके आगे की लड़ाई स्वयं के बल पर लड़ने की बात भी कही है.