गोंदिया. कोरोना की दूसरी लहर पूर्णत: नियंत्रण में नहीं आई कि अब डेल्टा प्लस वेरिएंट व तीसरी लहर के संभावित खतरे ने सभी की चिंता बढ़ा दी है. परिणामवश जिले का स्वास्थ्य विभाग फिर एक बार अलर्ट मोड पर आ गया है. तीसरी लहर को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मियों के विशेष प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है.
पिछले डेढ़ वर्ष से लोग कोरोना संकट की मार झेल रहे हैं. पहली लहर के बाद तो इस संक्रमण की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा दिया. जिले में अनेक लोगों ने संक्रमण के कारण अपनी जान गवाई. जिले में ऑक्सीजन के अभाव में लोगों ने दम तोड़ दिया था. अब कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट धीरे-धीरे अपना पैर पसार रहा है. पहले ही दूसरी लहर ने सभी के नाक में दम कर दिया.
इसके बाद ब्लेक फंगस के मरीज भी जिले में मिले. ऐसी स्थिति में अब कोरोना की तीसरी लहर व डेल्टा प्लस वेरिएंट ने फिर एक बार प्रशासन व सरकार की चिंता बढ़ा दी है. राज्य में इस विषाणु के 22 मरीज मिले हैं.
परिणामवश सरकार ने सभी जिला प्रशासन को अलर्ट कर दिया है. जिले में भी स्वास्थ्य विभाग उपाय योजना की तैयारी में जुट गया है. भले ही जिले में इस संक्रमण का एक भी मरीज नहीं मिला लेकिन नागरिकों को सभी नियमों का पालन करना आवश्यक हो गया है.
इन बातों पर रखें ध्यान
घर से बाहर निकलते समय नियमित मास्क का उपयोग करें. भीड़ के स्थानों पर जाना टालें. कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखें. कोरोना के लक्षण पाए जाने पर अस्पताल में पहुंचकर डाक्टर की सलाह लें. कोरोना मरीज घरेलू दवाई का उपयोग न करें. समय समय पर हैंडवाश करें ऐसा आव्हान स्वास्थ्य प्रशासन ने किया है.
बच्चों के साथ बड़ों को भी खतरा
राज्य में कोरोना वायरस से नए वेरिएंट डेल्टा प्लस का संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. हालांकि विदर्भ में अब तक कोई भी मरीज नहीं मिला है. इसके बावजूद लोगों में सावधानी और आवश्यक है. डाक्टरों के अनुसार यह बीमारी केवल बच्चों को ही नहीं तो बड़ों को भी जकड़ सकती है. अब तक इस बीमारी के इलाज के लिए पुख्ता गाइडलाइन्स नहीं आई है. यह भी माना जा रहा है कि कोरोना और उसके नए स्ट्रेन के वक्त उपयुक्त पाई जाने वाली दवाइयां भी बेकामी हो सकती हैं.
संक्रमण के बाद सामान्य तौर पर निमोनिया जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं. वहीं कई बार रिपोर्ट भले ही निगेटिव आए लेकिन मरीज पाजिटिव हो सकता है. कोरोना की दोनों लहर में संक्रमित होने वाले बच्चों का प्रमाण कम था. लेकिन इस बार लगभग 10 प्रश. बच्चे प्रभावित हो सकते हैं. बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए आवश्यक है कि परिजन जल्द से जल्द अपना टीकाकरण कराएं. टीकाकरण होने से बीमारी की तीव्रता से बचा जा सकता है.
लेकिन नए वेरिएंट से बच्चों की तुलना में बड़े भी प्रभावित हो सकते हैं ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है. यही वजह है कि सावधानी और सतर्कता अब भी जरूरी है. डाक्टरों के अनुसार जुलाई मध्य से मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है. बारिश के मौसम में संक्रमण तेजी से फैलता है. यही वजह है कि इस सीजन में होने वाली बीमारियों को मामूली न मानते हुए विशेषज्ञों की सलाह देने की बात कही जा रही है.