जिले में रेत खनन परिवहन जोरों पर, पुलिस प्रशासन और राजस्व का कोई डर नहीं

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– वाहिद काकर

जलगांव : रेत उत्खनन (Sand Excavation) और परिवहन (Transport) जिले में जोरो पर चल रहा है। शिकायत करने के बावजूद न पुलिस (Police) न राजस्व (Revenue) और न आरटीओ (RTO) का खौफ सड़कों पर बिना नंबर के ट्रेक्टर ट्रॉली और डंपर पुलिस थानों की नाक के नीचे से गुजर रहे हैं लेकिन इन पर कारवाई करने कोई भी विभाग तैयार नही है क्योंकि सभी की रेत के माध्यम से बंधी कमाई हो रही हैं। कलेक्टर राउत से लेकर मित्तल भी गिरना नदी के तट पर उतरे नकेल कसने की जगह रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि दिन के उजाले में भी जोरों से उत्खनन जारी है।

ऐसा ही रियाल्टी चेक नवभारत ने बांभारी सेतु पर किया है, जहां आधा दर्जन से भी अधिक टेक्टर ट्राली के मजदूरों द्वारा गिरना नदी का सीना छलनी किया जा रहा था। जिससे रोकने न पुलिस न राजस्व विभाग दिखाई तो वही सड़क पर आरटीओ का उड़नदस्ता दिखाई दिया। सूत्रों की माने तो आरटीओ विभाग ने इन वाहनों को बेरोकटोक चलाने की छूट दे रखी है। प्रति महीना इन वाहनों से मोटी कमाई सूचीबद्ध तरीके से की जा रही हैं। गत दिनों क्षमता से अधिक भार वहन के बदले वसूली का विधायक मंगेश चौहान ने भांडाफोड़ किया था। 

ट्रैक्टर ने घर में घुसकर चार लोगों को कुचल दिया

जिले के क्षेत्र से बहने वाली ताप्ती, वाघूर और गिरना नदियों में इन दिनों माफिया राज चल रहा बेधड़क रेत की चोरी तालुका पुलिस स्टेशन के समीप बाम्भोरी में शुरू है वही जानकारी के अनुसार अवैध रेत ट्रे्क्टरो का ताडंव रात 12:00 बजे से शुरू होता है बगैर रायल्टी के रेत माफियाओं की ट्रेक्टर ट्रॉली महानगर सहित गांव गांव दौड़ रहे है। जिसमें रफ्तार का कहर ढाया जा रहा है। मासूम लोगों को काली कमाई के लिए बलि चढ़ाया जा रहा है। बुधवार को भड़गाव में भी ट्रैक्टर ने घर में घुसकर चार लोगों को कुचल दिया जिसमें एक बालक की मौत हो गई थी। ऐसे हादसे प्रतिदिन जिले में घटित हो रहे हैं। लेकिन आरटीओ विभाग को इन बिना नंबरों के वाहन दिखाई नही देते।

अवैध खनन का खेल जारी

जिले की जीवन दायनी कही जानी वाली ताप्ती का सीना इन दिनों रेत माफिया छलनी करने में लगे है। ताप्ती के साथ-साथ जिले से होकर गुजरने वाली गिरना नदी और उसकी सहायक नदियों में रोजाना रेत का अवैध तरीके से खनन का खेल लगातार जारी है। नदियों में अवैध रूप से चल रहे रेत उत्खनन कार्य से जहां शासन को लाखों रुपए के रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। इसके साथ ही नदियों के अस्तित्व पर संकट भी गहराता जा रहा है। कई जगह नदियों में रेत की खदान इतने ज्यादा बढ़ गए है कि वहां जन जीवन पर भी इसका असर दिखने लगा है। 

ग्रामीण कर रहे डर का महसूस 

जानकारी के मुताबिक रेत के इस अवैध कारोबार में जिले के अलावा आस-पास के जिले के दबंगों, नेताओं और बाहरी राज्य के लोगों का आशीर्वाद से खेल चल रहा है, जो दिन और रात रेत का अवैध कारोबार चला रहे है। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर रेत खनन का विरोध भी किया जाता है तो उन्हें दबंग और नेताओं द्वारा न केवल धौंस देकर डराया जाता है बल्कि बंदूक का डर और नेतागिरी का पावर दिखाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर शासन प्रशासन से मदद मांग भी ले तो उन्हें किसी का सहारा नहीं मिलता। इससे ग्रामीण भी काफी डरे हुए महसूस कर रहे है। 

माफियाओं को खुली छूट

दर्जनों की तादाद में ट्रैकटरों से माफिया रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन कर राजस्व का चूना लगा रहे है करोड़ों का चूना पर कौन है जो इन्हें रोक सके बोल सकें क्योंकि कही न कही ये किसी न किसी पार्टी की सदस्यता ले रखी है और पार्टी ने इन्हें माफियाओं को खुली छूट दे रखी है। नदी नालों के किनारे रह रहे लोगो का जीना दूभर हो गया है ट्रैकटरों कि धमाचौकड़ी के चलते दर्जनों की तादाद मै टैक्टर ट्राली रात के अंधेरे में रेत चौरी कर रहे इनके सामने प्रशासन भी लाचार हो गया है।