कपास फसलों की जोरदार वृद्धि, 25 लाख गांठ का हो सकता है उत्पादन

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    जलगांव : अभी तक पर्याप्त मात्रा में हुई बारिश और धूप के कारण कपास (Cotton) की वृद्धि जोरदार है। इससे किसानों (Farmers) को कपास का अधिक उत्पादन (Production) मिलने की उम्मीद है। अनुमान है कि अगर बारिश, पानी, धूप हो और कपास पर कोई बीमारी न हो तो इस साल 25 लाख गांठ कपास का उत्पादन किया जा सकता है। 

    पिछले साल बारिश की कमी के कारण केवल 9 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। जिनिंग पेशेवरों ने बताया कि इस सीजन में यह बढ़ेगा। पिछले साल (2021) मानसून के दौरान कई बार भारी बारिश हुई थी। इससे कपास का उत्पादन जो हाथ लगा था चौपट हो गया था। कपास की कमी के कारण जिनिंग चालकों को फरवरी और मार्च के महीने में ही ओटाई बंद करनी पड़ी थी। जिनिंग उद्योग को करोड़ों का घाटा उठाना पड़ा था। 

    कपास की फसल अच्छी स्थिति में

    वहीं कपास 9 से 13 हजार प्रति क्विंटल की दर से बिक रही थी। इस साल भी कपास की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद में किसानों ने कपास की फसल को 10 प्रतिशत अधिक बढ़ा दिया है। अब तक हुई बारिश से कपास की फसल अच्छी स्थिति में है। आने वाले समय में भारी वर्षा हुई तो कपास के अच्छे भरे हुए लच्छे तैयार होंगे, सुंडी बीमारी का प्रकोप नहीं होगा। यह उत्पादन को बेहतर बनाने में मदद करेगा। लेकिन इस बात पर निर्भर करता है कि अगले महीने बारिश कैसे होती है। कपास के उत्पादन को लेकर एक सितंबर के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी। किसान आगामी अवधि में उचित मात्रा में बारिश के लिए प्रार्थना करते नजर आ रहे हैं। 

    जिनिंग व्यवसायी कपास की प्रतीक्षा में

    पिछले साल कपास की कमी के कारण जिनिंग व्यवसायिकों को समय से पहले ही जिनिंग बंद करना पड़ा था। इस वर्ष कपास की फसलों की स्थिति अच्छी है, इसलिए उम्मीद है कि उत्पादन अधिक होगा और पिछले वर्ष की कमी इस वर्ष दूर हो जाएगी। पिछले साल के नुकसान के कारण, व्यवसायिको का कोई बड़ा वित्तीय कारोबार नहीं हुआ था। इस साल नया कर्ज लेते समय बैंक उन्हें कर्ज देंगे या नहीं इस बात को लेकर संशय बना हुआ है। 100 गांठ कपास के उत्पादन के लिए 40 से 50 लाख की आवश्यकता होती है। इतनी पूंजी जुटाने के लिए बैंकों को तैयार होना होगा। 

    कहीं-कहीं दो सौ से पांच सौ गांठें बन जाती हैं। जिनिंग प्रोफेशनल्स पूंजी को एक करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ करने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। गांठें तुरंत नहीं बेची जाती हैं। अगर इसे बेचा भी जाता है तो इसका ‘भुगतान’ तुरंत नहीं होता है। वहीं दूसरी ओर किसानों को कपास का भुगतान नकद में करना होता है। एक महीने तक का समय देने के बाद भी यह संशय बना रहता है कि विपरीत पार्टी की ओर से ‘भुगतान’ समय पर आएगा या नहीं। प्रतिस्पर्धा के युग के कारण इस व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई है। 

    25 लाख गांठ का उत्पादन संभव

    लगभग डेढ़ सौ जिनिंग प्रेसिंग फैक्ट्रियां हैं। इस साल वे सभी शुरू हो गई हैं और लगभग 25 लाख गांठ का उत्पादन संभव है। आने वाले समय में भारी बारिश नहीं होनी चाहिए, साथ ही लार्वा जैसे संक्रमण से फसल खराब हो जाएगी। सितंबर में जलगांव में राष्ट्रीय स्तर पर कपास सम्मेलन आयोजित करने की योजना है।