मुंबई: जालना लाठीचार्ज (Jalna Lathicharge) की घटना को लेकर शिवसेना (UBT) नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) से मुलाकात की। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि राज्यपाल इस मामले में कार्रवाई सुनिश्चित करें।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद आदित्य ठाकरे ने कहा, “हम चाहते हैं कि राज्यपाल इस मामले में कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी कहा, यह सरकार बेकार है, मैं नहीं कह रहा हूं। बल्कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में भी ऐसी ही टिप्पणी की गई है। सिर्फ शब्द अलग इस्तेमाल हुए हैं।
#WATCH | Mumbai: After meeting Maharashtra Governor Ramesh Bais on the Jalna lathi charge incident, Shiv Sena (UBT) leader Aaditya Thackeray says, "We want the Governor to ensure action in this matter…This govt (Maharashtra) is useless. I am not saying this. A Supreme Court… pic.twitter.com/L6fFuPsxTO
— ANI (@ANI) September 6, 2023
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिछले एक हफ्ते से आंदोलन जारी है। जालना में आंदोलन के बीच हुए लाठीचार्ज को लेकर पूरे राज्य में माहौल गरमाया हुआ है। विपक्ष ने इस घटना निषेध किया और सीएम एकनाथ शिंदे से अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की है। हालांकि लाठीचार्ज की घटना को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सरकार की तरफ से माफ़ी मांगी हैं।
बीते दिन महाराष्ट्र सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल मराठा आरक्षण के लिए आठ दिन से भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे को हड़ताल खत्म करने के लिए मनाने में मंगलवार को नाकाम रहा। वहीं, मराठा आंदोलन के नेता मनोज जारांगे पाटिल ने आरक्षण के लिए एकनाथ शिंदे सरकार को चार दिन का समय दिया है। जरांगे पाटिल जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में 29 अगस्त से अनशन पर बैठे है। उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण को लेकर अनुकूल निर्णय नहीं लिया गया तो वह चार दिन बाद पानी और तरल पदार्थ लेना बंद कर देंगे। सरकार अब तक जारांगे से दो बार संपर्क कर उनसे अनशन वापस लेने का आग्रह कर चुकी है, लेकिन उन्होंने हटने से इनकार कर दिया है।
SC ने रद्द किया आरक्षण
उल्लेखनीय है कि मराठा समुदाय को महाराष्ट्र सरकार की नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में वर्ष 2018 में आरक्षण दिया गया था, जब फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री थे। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने मई 2021 में कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी होने सहित अन्य कारणों का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था।