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मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को कहा कि मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) से जुड़े विरोध प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती और उसके पास कानून-व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां हैं। न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अदालत के आदेश की आवश्यकता नहीं है।

पीठ मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन के खिलाफ गुणरतन सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पिछले हफ्ते जरांगे के वकील वी एम थोराट ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वे शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार को सदावर्ते ने पीठ को बताया कि राज्य भर में कई जगहों पर आंदोलन हिंसक हो गया है।

सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ और लोक अभियोजक हितेन वेंगांवकर ने अदालत को बताया कि हिंसा की घटनाओं के बाद पूरे महाराष्ट्र में 267 मामले दर्ज किए गए हैं। उनके यह कहने के बाद पीठ ने टिप्पणी की कि राज्य के पास स्थिति को नियंत्रित करने की शक्तियां हैं।

हाई कोर्ट ने कहा, “राज्य का काम स्थिति को संभालना है। राज्य मूकदर्शक नहीं रह सकता। उसे नाकेबंदी हटानी होगी।” अदालत ने कहा कि अगर जरांगे द्वारा दिया गया आश्वासन कि आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, नहीं निभाया जाता है तो यह राज्य का काम है कि वह ‘स्थिति’ को संभाले। थोराट ने पीठ से कहा कि ये राजनीतिक मुद्दे हैं और इन्हें अदालत में नहीं लाया जाना चाहिए था। (एजेंसी)