Pragya Thakur

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मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने 2008 के महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon Blast Case) में आरोपी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर ( Pragya Thakur) के खिलाफ जारी जमानती वारंट की तामील पर बुधवार को रोक लगा दी। अदालत को बताया गया कि वह (प्रज्ञा) बीमार हो गई हैं और उपचार के लिए यहां के एक अस्पताल में भर्ती हैं। इसके बाद अदालत ने जमानती वारंट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि ठाकुर को वारंट नहीं दिया गया था और उन्हें बयान दर्ज करने के लिए 27 मार्च को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। अदालत ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बार-बार चेतावनी के बावजूद पेश नहीं होने के बाद 11 मार्च को जमानती वारंट जारी किया था। विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने तब ठाकुर को 20 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया था। प्रज्ञा हालांकि दी गई तारीख पर अदालत में पेश नहीं हुईं।

ठाकुर के वकील जे. पी. मिश्रा ने बुधवार को एक अर्जी दायर कर उनके खिलाफ जारी वारंट पर रोक लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने न्यायाधीश को सूचित किया कि ठाकुर अदालत की सुनवाई में शामिल होने के लिए मुंबई आई थीं, लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा क्योंकि शहर के हवाई अड्डे पर उतरने के बाद वह बीमार हो गईं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि 11 मार्च को सांसद के खिलाफ जारी जमानती वारंट अभी तक तामील नहीं कराया गया है। अदालत ने कहा, ‘‘आवेदन में दिए गए कारणों को ध्यान में रखते हुए, जमानती वारंट के क्रियान्वयन पर तब तक रोक लगाई जाती है जब तक कि आरोपी (ठाकुर) को अस्पताल से छुट्टी नहीं मिल जाती।”

अदालत ने अब लोकसभा सदस्य को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 (आरोपी से पूछताछ करने के अधिकार से संबंधित) के प्रावधानों के तहत अपना अंतिम बयान दर्ज करने के लिए 27 मार्च को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। ठाकुर और छह अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज है।

एनआईए अदालत वर्तमान में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है। मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के निकट एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। शुरुआत में इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता कर रहा था, लेकिन 2011 में मामला एनआईए को सौंप दिया गया।