file
file

    Loading

    मुंबई: सड़कों पर लगाए गए खुले डस्टबिन (Dustbins) के कारण पूरे परिसर में कचरा ही कचरा दिखाई  देता है। इससे आगे बीएमसी (BMC) बेलगांव पैटर्न (Belgaum Pattern) अपनाएगी। यानी अब सभी कचराकुंडी भूमिगत लगाई जाएंगी। इससे कचरा डस्टबिन से बाहर नहीं आएगा। 

    मुंबई (Mumbai) में अब सभी डस्टबिन बाहर ही रखी जाती हैं। हालांकि अब प्लास्टिक के डस्टबिन रखे जाते हैं। खासकर सोसायटियों के बाहर। उसमें जब कचरा भर जाता है तो वह बाहर गिरने लगता है। बीजेपी नगरसेविका स्वप्ना म्हात्रे ने बीएमसी सदन में बेलगांव पैटर्न अपनाने का प्रस्ताव दिया है। उनके प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। 

    मुंबई में 949 कम्युनिटी कलेक्शन सेंटर

    मुंबई में रोजाना 6500 से 6800 मैट्रिक टन कचरा  जमा होता है। बीएमसी का दावा है कि वह 100 प्रतिशत कचरा उठाती है। कचरा उठाने वाले वाहनों को रोज 1600 से अधिक चक्कर लगाने पड़ते हैं। मुंबई में लगभग 949 कम्युनिटी कलेक्शन प्वाइंट हैं। 

     पक्षी, जानवर फैलाते हैं कचरा

    कचरे की कुंडी खुली होने के कारण पक्षी, चूहे कुत्ते, गाय खाने की तलाश में कचरे को फैला देते हैं। इससे लोगों को तकलीफ होती है।  फिलहाल बीएमसी डंपिंग ग्राउंड पर पड़ने वाले दबाव को कम करने के लिए 100 किलो से अधिक कचरा पैदा होने वाली सोसायटियों को  गीला कचरा अलग कर उससे खाद बनाना अनिवार्य कर दिया है।

    क्या है बेलगांव पैटर्न

    बेलगांव में एक टन क्षमता का भूमिगत यानी हाइड्रोलिक डस्टबिन लगाया गया है। उपर केवल कचरा फेंकने के लिए ढक्कन रहता है। ढक्कन को उठा कर कचरा भीतर डालने के बाद उसे बंद कर दिया जाता है। इससे अगल बगल में कचरा नहीं फैलता है। इसके अलवा दुर्गंध भी नहीं फैलता है। यदि काई जानवर  कचरे के डिब्बे को खोलने का प्रयास करता है तो एलर्ट भी आता है। यह एलर्ट स्थानीय नगरसेवक और अधिकारियों को जाता है। जिस कारण से समय से कचरा नहीं उठाने पर संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार माना जाता है।