- मुंबई में लोगों को पता नहीं क्यों हो रहा सर्वे
- मराठा रिजर्वेशन सर्वे क्या हो पाएगा सफल
मुंबई: मराठा नेता जरांगे पाटिल (Jarenge Patil) की मांगें मान लेने और राज्य सरकार द्वारा जी आर निकाले जाने के बाद राज्य में मराठा सर्वे (Maratha Reservation Survey) शुरु कर दिया गया है। सर्वे के बारे में आम लोगों को पूरी जानकारी नहीं है वहीं सर्वे के नाम पर कहीं कहीं लीपापोती, तो कहीं सर्वे की उपेक्षा देखी जा सकती है। सर्वे को लेकर मुंबई (Mumbai) के कई इलाकों में लोगों में डर भी देखने को मिल रहा है। घर-घर जाकर सर्वे करने का काम मुंबई और ठाणे महानगरपालिका (BMC) के कर्मचारी (workers) कर रहे हैं ।
महानगरपालिका को मिली सर्वे की जिम्मेदारी
राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा नेता जरांगे पाटिल की मांग को मानते हुए सर्वे का काम शुरू करने के आदेश भी दे दिए। मुंबई और उप नगरों में घर-घर जाकर सर्वे करने का काम मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और ठाणे महानगरपालिका (टीएमसी) के कर्मचारियों को सौंपा गया है। मुंबई में झुग्गी झोपड़पट्टी इलाकों में सर्वे की स्थिति दयनीय नज़र आ रही है।
सर्वे करना कर्मचारियों की मुसीबत
अचानक से सर्वे के लिए दरवाजे पर पहुंचे कर्मचारी को देखकर मुंबई के लोग डरे हुए हैं। कर्मचारी सीधे उनसे उनकी जाति पूछ रहे हैं। यहां सर्वे के लिये जाने वाले कर्मचारियों को जनता के ऊलजलूल सवालों को झेलना पड़ रहा है, कहीं-कहीं तो उन कर्मचारियों को भद्दे शब्दों को भी सुनना पड़ रहा है, कहीं कहीं उन्हे बिना किसी जानकारी के वापस लौटना पड़ रहा है। दरअसल किसी से उसकी जाति के बारे में पूछना लोगों को अच्छा नहीं लग रहा, कुछ लोग जो आरक्षण के खिलाफ हैं कर्मचारियों से ठीक बर्ताव भी नहीं कर रहे। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि सर्वे कर रहे कर्मचारियों के लिए ये काम बड़ी मुसीबत बन गया है।
सर्वे को लेकर घमासान क्यों
आम तौर पर मुंबई के कई इलाकों में महानगरपालिका के तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को सर्वे के काम के लिये भेजा जा रहा है। उन्हे खुद भी नहीं मालुम की सर्वे किस लिये किया जा रहा है। फॉर्म कैसे भरना और लोगों को किस तरह समझा कर जानकारी हासिल करना है। यही कारण है कि सर्वे के शुरूआती दौर में ही मुश्किल सामने आ रही है। इतना ही नहीं मुस्लिम इलाकों मे सर्वे करने वालों को और भी ज्यादा परेशानी हो रही है, क्योंकि उन्हे लग रहा है कहीं ये सर्वे सामान नागरिक संहिता से जुड़ा तो नहीं इसलिए मुस्लिम इलाकों में सर्वे करने वाले कर्मचारियों को ज्यादा मुश्किल झेलनी पड़ रही है।