Deepak Kesarkar
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मुंबई: गैर अनुदानित स्कूलों की फीस आम तौर पर छात्रों को प्रदान की जाने वाली शैक्षिक सुविधाओं पर निर्भर करती है। निजी विद्यालयों में शिक्षा शुल्क में वृद्धि करते समय संबंधित विद्यालय प्रबंधन अभिभावक शिक्षक संघ से चर्चा कर निर्णय लेते हैं, लेकिन अब इन स्कूलों में फीस ( Schools Fees) की सही राशि निर्धारित करने और इस पर राज्य सरकार (State Govt.) का नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की जाएगी। यह जानकारी प्राथमिक शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर (Minister Deepak Kesarkar) ने विधानसभा में दी। केसरकर प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की तरफ से उठाये गए सवालों का उत्तर दे रहे थे। 

वाघोली स्थित ‘द लेक्सिकन इंटरनेशनल स्कूल’ में फ़ीस नहीं भरने की वजह से विद्यार्थियों को बंधक बनाए जाने का मामला विपक्ष के नेता अजीत पवार, समाधान अवताडे, राजेश टोपे, राहुल कूल, रोहित पवार, बालासाहेब पाटिल, विजय वडेट्टीवार ने उठाया। मंत्री केसरकर ने बताया कि द लेक्सिकॉन इंटरनेशनल स्कूल के करीब 200 विद्यार्थियों को ट्यूशन फीस नहीं देने के कारण स्कूल बंद होने के बाद घर नहीं छोड़ा गया। इसके बाद इन बच्चों के माता-पिता को बुलाकर उनसे चर्चा की गई। केसरकर ने कहा कि इस तरह की घटना दोबारा न हो इसका ख्याल रखा जाएगा। 

गैरअनुदानित स्कूलों में फीस को लेकर कई शिकायतें आती हैं

प्राथमिक शिक्षा मंत्री केसरकर ने कहा कि  इस संदर्भ में  लोनीकंद थाने में शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद एक भी अभिभावक थाने नहीं आया। दरअसल, राज्य सरकार यह तय नहीं करती है कि गैर अनुदानित स्कूलों की फीस कितनी होनी चाहिए, अक्सर राज्य सरकार के पास गैरअनुदानित स्कूलों में फीस को लेकर कई शिकायतें आती हैं।