Halal restriction, Mumbai, halal product ban, UP, Halal Ban, Halal, हलाल, बैन, मुंबई, हलाल सर्टिफिकेट, हलाल प्रमाणपत्र

Loading

  • करोड़ों का हलाल सर्टिफिकेट का कारोबार
  • कारोबारियों को सताने लगा बंदी का डर    
सैय्यद जाहिद अली@नवभारत 
मुंबई: मुस्लिम समुदाय पर हलाल (Halal) और हराम की छूरी हमेशा लटकती रही है। व्यापारी वर्ग इसका लाभ उठाने की ताक में रहते हैं। हलाल सर्टिफिकेट देने वालों पर उत्तर प्रदेश (UP) में गाज गिरने लगी है। जिसका असर मुंबई (mumbai) में भी (Halal restriction) नजर आने लगा है। हलाल का प्रमाणपत्र देने वालों में कारोबार बंद होने (Halal Product Ban) का डर सताने लगा है। 
 
अमेरिका से भारत पहुंचा हलाल का कारोबार 
मुसलमानों में हलाल वस्तुओं का इस्तेमाल और हराम चीजों से दूर रहने की हदीस में हिदायत दी गई है। इसी का फायदा उठाने के लिए कुछ संगठनों ने हलाल प्रमाण पत्र देने का धंधा शुरू कर दिया। हालांकि इसकी शुरुआत अमेरिका में 1975 से हुई, यहां इस्लामिक सर्विसेज ऑफ अमरीका के नाम की कंपनी ने इसकी शुरुआत की। जो बाद में इंग्लैंड से 1993 में तेजी से अन्य देशों में फैला। फिर भारत में वर्ष 1994 में खाद्य पदार्थों, 1995 में पूरक आहार में हलाल संकल्पना का विस्तार किया गया। 1997 में औषधि उत्पाद तथा सौंदर्य प्रसाधनों पर भी हलाल संकल्पना लागू की गई। 
 
 
इस्लामिक देशों में अनिवार्य है हलाल प्रमाण पत्र
इस्लामिक देशों में उत्पाद निर्यात करने के लिए हलाल प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य करने का प्रस्ताव ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक ऑपरेशन ने रखा और मंजूरी के बाद इसे अनिवार्य कर दिया है। 
 
भारत में हलाल प्रमाण पत्र वाले उत्पाद  
खाद्य पदार्थों के अलावा अन्य उत्पादों पर जैसे लिपस्टिक, गारमेंट्स दिलाइट, पश्चिमी देशों के अंतरराष्ट्रीय खाद्य पदार्थ जैसे मैकडोनाल्ड का पिज़्ज़ा, डोमिनोज का पिज़्ज़ा, नेसले का मैगी मसाला, ऑर्गेनिक इंडिया की हलाल प्रमाणित तुलसी आयुर्वेदिक चाय, यहां तक की सौंदर्य प्रसाधनों में साबुन, काजल, शैम्पू, टूथपेस्ट, हिमालया प्रतिष्ठान के साबुन, हलाल फैशन द्वारा निर्मित आधुनिक बुर्का, हिजाब भी हलाल प्रमाणित किए गए हैं। 
    
हलाल प्रमाणित चिकित्सालय और हलाल प्रमाणित गृह संकुल तेजी से चेन्नई और हैदराबाद में भी फ़ैल रहे हैं, भारत में हलाल प्रमाण पत्र देने वाली संस्थाएं जिनकी शाखाएं मुंबई के भिंडी बाजार, मुंब्रा और भिवंडी में खोली गई हैं।  
 
1 हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
2 हलाल सर्टिफिकेट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड 
3 जमीयतुल उलेमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट
4 जमीयतुल उलेमा ए महाराष्ट्र 
5 हलाल कौंसिल ऑफ इंडिया और
6 लोबल इस्लामिक शरिया सर्विसेज
 
करोड़ों का है कारोबार 
हलाल प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए उक्त संस्थाओं को 20 हजार रुपए से लेकर 60 हजार रुपए प्रति उत्पाद दिया जाता है। प्रत्येक वर्ष हलाल प्रमाणित सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए कंपनियों को लाखों रुपए देने होते हैं।
 
 
कुरान का हवाला देकर व्यापारी चमका रहे अपना धंधा 
कुरान शरीफ में हलाल शब्द का उल्लेख 21 आयतों में आया है तथा हराम वस्तुओं के इस्तेमाल से गुनाह होने का जिक्र किया गया है। इसी को आधार मान कर व्यापारी वर्ग के मुस्लिम संस्थान अपनी दुकानें चमका रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल प्रमाणित होटलों, खाद्य पदार्थ विक्रेताओं और हलाल प्रमाण पत्र देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।  
इसका असर मुंबई में भी तेजी से नजर आने लगा है, यहां हलाल होटल, हलाल हिजाब विक्रेता शो रूम और हलाल प्रमाणित वस्तुओं की बिक्री के लिए जो बोर्ड लगाए थे, उत्तर प्रदेश में कार्रवाई होते देख उन्होंने उसे हटा दिया है। 
 
मुंबई में भी कार्रवाई होने का सताया डर 
हलाल प्रमाण पत्र के नाम पर मुसलमानों की मानसिकता के साथ विश्वासघात किया जा रहा है, क्योंकि हलाल प्रमाण पत्र के कारण मुसलमान व्यक्ति की अपेक्षा प्रमाणपत्र ही अधिक विश्वास करने की प्रक्रिया हो रही है, उनको हलाल प्रमाण पत्र के ठप्पे पर होने लगी है। हलाल प्रमाण पत्र देने वाली जमीयतुल उलेमा ए महाराष्ट्र ने मीडिया से दूरी बना ली है। यहां हलाल प्रमाण पत्र देने के नाम पर और हलाल प्रमाणित वस्तुओं की बिक्री करने वालों को मुंबई में भी कार्रवाई होने का डर सताने लगा है। 
 
 
बयान देने से बच रहे जिम्मेदार हलाल प्रमाण पत्र देने वाले 
देश भर में हलाल प्रमाणपत्र देने वाली मुंबई की शाखा संस्था जमीयतुल उलेमा ए महाराष्ट्र के जिम्मेदार लोग ये कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं कि इस पर बोलने और बयान देने के लिए वो अधिकृत नहीं हैं। सारा कारोबार दिल्ली से होता है जबकि सूत्रों के मुताबिक हलाल प्रमाणपत्र देने का कारोबार ऑनलाइन जारी है हालांकि उत्तर प्रदेश में कार्रवाई को देखते हुए अब मुंबई में सतर्कता बरती जा रही है। 
 
इनका पैसा कहां जाता है इसका कोई हिसाब नहीं होता
मुंबई की जानी मानी हिंदू संस्था हिंदू जनजागृति समिति के सुरेश धनवट का आरोप है कि देश में समानांतर अर्थव्यवस्था लागू करने की ये एक अंतरराष्ट्रीय साजिश है। धर्म विशेष के लिए अलग से कोई भी व्यवस्था होना उचित नहीं है। पूरे देश में हलाल प्रमाणपत्र और वस्तुओं की बिक्री पर पाबंदी लगाने की जरूरत है, ये संस्थाएं केवल धर्मदाय आयुक्त से मान्यता लिए हुए हैं। इनका पैसा कहां जाता है इसका कोई हिसाब नहीं होता, इस पर बैन लगाना चाहिए।