मुंबई के वो इलाके जहां जनता के बीच बसती है मौत, दहशत में बीतता है पूरा मानसून

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मुंबई: मुंबई (Mumbai) तो मायानगरी है, कोई इसे सपनों की दुनिया बताता है तो कोई इसे मुंबा देवी का आंचल, सबका अलग-अलग नज़रिया है। मुंबई में न सिर्फ लोग रोजी-रोटी कमाने आते हैं बल्कि काफी लोग तो यहीं के हो कर रह जाते हैं और मुंबई भी मां की तरह उसे अपने सीने से लगा लेती है। खुद कभी ना सोने वाली मुंबई अपने किसी भी बच्चे को कभी भूखा नहीं सोने देती। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुंबई में कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां मौत दबे पांव आती है और मुंबई की गोद में सोये लोगों को हमेशा के लिए सुला देती है। करुणामयी मुंबई का ये वो पहलू है जो सभी को रुलाता है। लैंडस्लाइड की घटना मुंबई के घाटकोपर, विक्रोली और भांडुप जैसे इलाके में मानसून में होती हैं। पूरे मानसून इन इलाकों में रहने वाले दहशत में जीते हैं। जिन्होंने लैंडस्लाइड (Landslide) में अपनों को खोया है हर मानसून उनके ज़ख्म ताज़ा हो जाते हैं। इस लेख में लैंडस्लाइड से बचाने के लिए प्रशासन ने क्या कदम उठाया है और क्या किया जाना चाहिए इस चर्चा की गई है।   

लैंडस्लाइड की घटनाओं में सैकड़ों गंवा चुके हैं जान 
कलेक्टर और मनपा के विभिन्न विभागों में समन्वय की कमी का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। मनपा बरसात के पहले पहाड़ी और पहाड़ियों के किनारे बसे झोपड़ी मालिकों को नोटिस जारी करके सुरक्षित जगहों पर जाने का निर्देश तो दे देती है, लेकिन आदेश का सख्ती से पालन हो इस पर कार्रवाई नहीं की जाती। बरसात के मौसम में पहाड़ी और पहाड़ियों के किनारे बसे लोगों के ऊपर भूस्खलन जैसी विपदा आने का डर लगा रहता है, कई बार ऐसी घटनाएं घटी है जिससे सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। 
धारावी पैटर्न पर विकास का लॉलीपॉप प्रशासन द्वारा उनको विस्थापित करने या उनके पुनर्वासन को लेकर कोई स्थाई ठोस नीति नहीं बनाई गई है। जिससे पहाड़ी क्षेत्र सुरक्षित और संरक्षित रहे लोग भी भय मुक्त रातें बिता सके। घाटकोपर वेस्ट के विधायक राम कदम ने कहा कि उनके क्षेत्र का 60 % भाग पहाड़ी है। आने वाले समय मे इन क्षेत्रों का धारावी पैटर्न की तरह विकास किया जा सकता है। जिससे भूसंपदा भी सुरक्षित और संरक्षित रहेगी लोग भी सुरक्षित रहेंगे। 

सेफ्टी वॉल के लिए नहीं है फंड 
पहाड़ों के किनारे झोपड़े ज्यादा है, संरक्षण दिवाल बनती है उसके बगल फिर नए झोपड़े बन जाते हैं, सब जगह कलेक्टर की है, लेकिन कलेक्टर के पास मैन पावर नही है, कलेक्टर और मनपा का आपस मे समन्वय भी नहीं है, मनपा में भी इसके रोकथाम और व्यवस्था के लिये विभिन्न विभाग है, लेकिन आपस मे अंदरूनी समन्वय नहीं होने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। जिस वजह से कोई स्थायी रास्ता नही निकल पाता है। कदम ने बताया कि पहाड़ियों पर सेफ्टी वाल के लिये पर्याप्त फंड भी नहीं रहता है इन विषयों को लेकर पुनर्वसन मंत्री अनिल पाटिल से बैठक भी हुई है, जिसमे मनपा और म्हाडा के अधिकारी भी मौजूद थे। 

300 करोड़ की निधि पास हुई
आने वाले समय मे इन इलाकों का धारावी पैटर्न की तर्ज पर समाधान निकाला जाएगा। इसके पहले विभिन्न विकास कार्यों के लिये 300 करोड़ की निधि पास हुई है। जिसमें घाटकोपर वेस्ट के लिये विभिन्न विकास कामों के लिये 1 सौ 25 करोड़ का आबंटन हुआ है। लेकिन आचारसंहिता की वजह से अस्थायी तौर पर रुकी हुई है। पहाड़ों के ऊपर बसे झोपड़ा धारकों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। लोग अपनी-अपनी जरूरत और व्यवस्था के हिसाब से अपना आशियाना बना लेते है। कलेक्टर और महानगरपालिका के पास कोई स्थाई समाधान नहीं है। -राम कदम, भाजपा विधायक

कुर्ला, घाटकोपर, भांडुप खतरनाक इलाके हैं 
कुर्ला कुरैशी नगर, असल्फा, चेंबूर, पार्क साइट, भटवाड़ी, खैरानी रोड, खंडोबा हिल, सूर्यनगर, पवई के इंदिरानगर, गौतम नगर, पासपोली, जयभीम नगर, गौतमगर के अलावा भांडुप पश्चिम रमाबाई अंबेडकर नगर भाग 1 और 2, नारदस नगर, गांवदेवी हिल, गावदेवी मार्ग, टेंभीपाड़ा, रावटे कंपाउंड, खिंडीपाड़ा, रामनगर, हनुमान नगर, हनुमान हिल, अशोक हिल, मैंगो भरनी, डकलाइन रोड, नवजीवन सोसाइटी, तानाजी वाडी, दरगा रोड, खदान विश्व शांति सोसाइटी सभी जगहों पर कभी भी कोई भी अनहोनी की घटना घट सकती है। 

कब-कब हुआ हदसा 
1999 में चिराग नगर में भूस्खलन ने कई लोगों की जान ले ली। 
अगस्त 2002 में कुर्ला क़ुरैशी नगर में भूस्खलन से कई लोगों की मौत हो गई। 
जुलाई 2021 में चेंबूर में भूस्खलन के कारण कई लोगों की जान चली गई। 
जुलाई 2021 विक्रोली सूर्य नगर में भूस्खलन। 
जुलाई 2021 में चांदीवली के संघर्ष नगर में भूस्खलन के कारण कई लोगों की जान चली गई। 
12 अप्रैल 2024 को अस्लफा के हिमालय सोसायटी के पास पहाड़ के ऊपरी छोर से चट्टान नीचे गिर आई।