मुंबई. मुंबई में कोरोना मरीजों की संख्या 65 हजार से उपर पहुंच गई है जिसमें से 1000 कोरोना संक्रमित मरीज कहां गायब हो गए हैं. इसकी जानकारी बीएमसी को नहीं है. अब उन मरीजों की तलाश जीपीएस सिस्टम से की जा रही है. बीएमसी की चिंता इस बात पर है कि गायब हुए मरीज और उनके संपर्क में आने वाले लोग पता नहीं कितनी जगह संक्रमण फैला रहे हैं.
बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि गायब मरीजों को खोजने के लिए जगह- जगह हमने शिक्षकों की टीम भेजी थी लेकिन वे भी गायब मरीजों का पता लगाने में सफल नहीं हुए. अधिकारी का कहना है कि मरीजों की खोज के दौरान पता चला कि उन्होंने गलत एड्रेस दिए थे. गायब मरीजों में 60 % स्लम में रहने वाले हैं. उनकी खोज में गई टीम गलत पता होने के कारण तलाश नहीं कर सकी.
कुछ पता नहीं लग रहा
पिछले 30 दिनों में प्रयास के बाद भी कुछ पता नहीं लग रहा है कि वे कहां गायब हो गए हैं. अधिकारी के अनुसार सबसे बड़ी बात तो यह है कि गायब मरीज न तो अस्पताल में हैं और न ही उनकी मृत्यु हुई है. गायब मरीजों में अधिकांश वे हैं जिनका स्वाब लिया गया था और उनकी रिपोर्ट बाद में आई थी. स्वाब देने के बाद से ही उनका पता नहीं चल रहा है. इसलिए चिंता है कि वे चाहे मुंबई हो या मुंबई के बाहर दूसरे लोगों को अवश्य संक्रमित कर रहे होंगे.
मरीजों ने मोबाइल नंबर भी गलत दिए
शिक्षकों की टीम ने बीएमसी को जो रिपोर्ट दी है उसमें कहा गया है कि मरीजों ने जांच के समय जो नाम और पता लिखाया था ज्यादातर वह भी गलत है. शिक्षकों ने स्थानीय लोगों की भी मदद ली फिर भी गायब मरीजों का पता नहीं चल सका. मरीजों ने मोबाइल नंबर भी गलत दिए हैं जिससे उनको खोजने में परेशानी हो रही है. बीएमसी ने मरीजों को खोजने के लिए पुलिस से कहा है. पुलिस मरीजों के नाम के सहारे उनके नाम आधार कार्ड और वोटिंग लिस्ट से खोज कर सही मोबाइल नंबर प्राप्त कर जीपीएस के माध्यम से उनके लोकेशन ट्रेस करने में लगी है. इससे उनके मूवमेंट का पता चल सकेगा. मरीजों तक पहुंचने का अब यही एकमात्र जरिया बचा है. स्लम में रहने वाले मरीजों को खोजने में सबसे आधिक कठिनाई आ रही है.
मरीजों का पता लगाने का प्रयास जारी
मरीज के नाम के आधार पर हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए आधार कार्ड और वोटर लिस्ट का सहारा लिया जा रहा है. इससे हमें मरीजों तक पहुंचने में मदद मिलेगी. हम जीपीएस के जरिए से भी उनकी लोकेशन का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं. – सुरेश काकानी, अतिरिक्त आयुक्त मनपा