फिलिस्तीन-इजरायल युद्ध में मुंबई के मुसलमान फिलिस्तीन के साथ

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  • मुस्लिम समुदाय ने की युद्ध रोकने की मांग     

सैय्यद जाहिद अली@नवभारत

मुंबई: फिलिस्तीन-इजरायल (Palestine-Israel) युद्ध (War) थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनो तरफ हो रही मौतें और तबाही से मुंबई (Mumbai) के मुसलमानों (Muslims) में भय मिश्रित आक्रोश बढ़ता जा रहा है। फिलिस्तीन (Palestine) के समर्थन (Favor) और इजरायल के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। वहीं मुस्लिम संगठनों ने केंद्र सरकार से दखल देकर युद्ध रुकवाने की अपील भी की है। इसके बावजूद युद्ध में नरसंहार तेज होता जा रहा है। 

फिलिस्तीन और इजरायल की लड़ाई नई नहीं है। 1948 के पहले फिलिस्तीन के पूरे इलाकों में मुसलमानों का नियंत्रण था। 1948 में इजरायल देश बना, 1948 के पहले 1517 में इस क्षेत्र में 98 प्रतिशत मुसलमान और 1.7 प्रतिशत यहूदी रहते थे। यहूदी धर्म के लोगों ने फिलिस्तीन में एक तरह से शरण ली थी। जिसे फिलिस्तीन के मुसलमानों ने रोका नहीं बल्कि उनका सहयोग किया। दोनो में किसी भी बात को लेकर कोई नफरत की भावना नहीं थी। 

दोनो में भाईचारा था, लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के बाद दोनों में धीरे धीरे नफरत की भावना फैलने लगी। 1917 में फिलिस्तीन में यहूदियों की आबादी सिर्फ 8.8 फीसदी थी। 1947 में 32 प्रतिशत यहूदी यहां आकर रहने लगे। फिलिस्तीन में यहूदियों की संख्या में तेजी से वृद्धि का कारण पश्चिमी देशों में उन पर अत्याचार हो रहे थे और वो अपनी जान बचाने के लिए फिलिस्तीन में आ कर बसने लगे और उनकी आबादी बढ़ गई। 

1917 में जो इलाका फिलिस्तीन के पास था वो इजराइल के कब्जे में हो गया और अब यहां 74 प्रतिशत यहूदियों की आबादी है, एक दूसरे के इलाकों पर कब्जे को लेकर छिड़ा युद्ध मानव जाति के लिए विनाशक साबित होता जा रहा है और विश्व के देशों द्वारा दो गुटों में एक दूसरे को समर्थन और सहायता देने से तृतीय विश्व युद्ध होने का खतरा मंडराने लगा है। मुंबई के मुसलमानों को फिलिस्तीन से दिली मोहब्बत और यकीदा है। क्योंकि फिलिस्तीन मुसलमानों के बुजुर्गों और ओलिया की जन्म स्थली है, यही वजह है कि इजराइल द्वारा फिलिस्तीन के इलाकों पर बमबारी करने और मिसाइल दागने से मुसलमानों में भयमिश्रित आक्रोश बढ़ता जा रहा है। 

मुंबई के मुसलमानों ने कुछ जगहों पर इजरायल के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। लेकिन पुलिस ने प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी बावजूद इसके प्रदर्शन करने पर लोगों पर मामले दर्ज किए गए। गोवंडी, भिंडी बाजार, मदनपुरा, बेहराम पाड़ा जैसे मुस्लिम इलाकों में भी कई मुस्लिम संगठनों ने इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन कर युद्ध रोकने की मांग की। लेकिन बड़े पैमाने पर ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई, लोगों में भय व्याप्त है कि भारतीय सरकार इजरायल के समर्थन में है। इसलिए इजरायल के खिलाफ विरोध जताने की पाबंदी लगाई गई है, जो कि असंवैधानिक है, लोगों को अपना विरोध दर्ज कराने का अधिकार संविधान ने दिया है।  

दारुल उलूम बरकतिया हो या दारुल उलूम मोहम्मदिया सभी के लोगों का कहना है कि हम फिलिस्तीन के साथ है वहां हमारे पीर बुजुर्गों की मजारें हैं, इजरायल ने आतंकवाद का घिनौना रूप दिखा दिया है, जिसने उसे पनाह दी उसी की जगह पर कब्जा करके आज उसी को तबाह करने लगा है, मुंबई के मुसलमानों ने फिलिस्तीन इजरायल युद्ध में फिलिस्तीन के साथ होने का दावा करते हैं और विनाश रोकने के लिए सभी देशों को आगे आने की मांग करते हैं। 

मौलाना एजाज कश्मीरी

मौलाना एजाज कश्मीरी ने कहा, भारत देश का जो भी इंसाफ पसंद शहरी है फिर चाहे वो मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम फिलिस्तीन का समर्थन करता है, क्योंकि सब जानते है कि इजराइल नाम का कोई देश नहीं था, फिलिस्तीन ने उसे पनाह दी और इजराइल देश बन गया जो आज मुसलमानों के लिए नासूर बन चुका है। युद्ध को जल्द ही विराम लगना चाहिए। 

सुन्नी तंजीमुल उलेमा के अध्यक्ष, मौलाना मुफ्ती उस्मान अशरफ

सुन्नी तंजीमुल उलेमा के अध्यक्ष, मौलाना मुफ्ती उस्मान अशरफ ने कहा, इजरायल गलत कर रहा है। उससे भी बड़ी गलती वो कर रहे हैं जो उसका साथ दे रहे हैं। फिर चाहे भारत ही क्यों ना हो, क्योंकि इजरायल फिलिस्तीन पर अत्याचार कर रहा है, यहां इजरायल के खिलाफ विरोध करने पर प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की जा रही है, भारत के मुसलमान इसकी कड़ी निंदा करते हैं और फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं। और युद्ध को जल्द से जल्द रुकवाने की मांग करते हैं।