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    मुंबई: मुंबई विश्वविद्यालय (Mumbai University) ने दूसरे सत्र यानी 2022 के शीतकालीन सत्र की संशोधित तारीखों की घोषणा कर दी है। सबसे पहले शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के बीए और बीएससी (BSc) सत्र 5 की परीक्षाएं 4 नवंबर से शुरू होंगी और तीसरे वर्ष की बीकॉम (B.Com) सत्र 5 की परीक्षाएं 18 नवंबर से शुरू होंगी।

    मुंबई विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि शीतकालीन सत्र के सभी संकायों की सभी नियमित एवं बैकलॉग परीक्षाएं ऑफलाइन (Offline Exams) आयोजित की जाएंगी।

    379 परीक्षा तिथियां घोषित

    विश्वविद्यालय हर साल चार संकायों में 450 से अधिक परीक्षाएं आयोजित करता है। विश्वविद्यालय ने 2022 के शीतकालीन सत्र के लिए 80 मानविकी, 96 वाणिज्य, 94 विज्ञान और 109 अंतर-संकाय परीक्षाओं सहित 379 परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा की है। फैकल्टी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इंस्टीट्यूट ऑफ डिस्टेंस एंड ओपन स्टडीज की परीक्षा तिथियों की घोषणा जल्द की जाएगी। सभी परीक्षाओं की तिथि परिपत्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इन परीक्षाओं का कार्यक्रम जल्द ही घोषित किया जाएगा।

    परीक्षार्थियों को मिला पिछले वर्ष का प्रश्नपत्र 

    मुंबई यूनिवर्सिटी में लॉ कोर्स के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा शुरू हो गई, लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा पहले ही पेपर में पैदा की गई की गई घोर लापरवाही से छात्र परेशान हो गए। विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र कॉलेजों को भेजे थे, कॉलेजों के लिए लगभग एक घंटे की देरी से परीक्षा शुरू हुई। इससे छात्र काफी मानसिक तनाव में थे। छात्रों का कहना था कि रिजल्ट भी पेपर पर था। मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एलएलबी तीन वर्षीय, द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा मंगलवार से शुरू हुई। संविधान कानून विषय का पहला पेपर मंगलवार को था। परीक्षा सुबह 11 बजे शुरू होने वाली थी, इसलिए छात्र सुबह 10.30 बजे कॉलेज पहुंचे, लेकिन परीक्षा शुरू होने के बाद पता चला कि जो पेपर दिया गया था वह पिछले साल का था।इस मामले की सूचना कॉलेज द्वारा तत्काल विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग को दी गई। इसके बाद विवि ने तुरंत कॉलेजों को परीक्षा एक घंटे के लिए टालने का निर्देश दिया। परीक्षा को एक घंटे टालने से छात्र तनाव में आ गए। छात्रों का कहना था कि उस दिन की परीक्षा स्थगित कर देनी चाहिए थी।

    छात्र संघ ने की निंदा

    विश्वविद्यालय के लापरवाह प्रशासन की छात्र संघ ने निंदा की है। इस संबंध में युवा सेना के पूर्व सीनेटरों ने सवाल उठाया है कि छात्रों की मानसिक पीड़ा के लिए कौन जिम्मेदार है, इसकी जांच होनी चाहिए। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के इस ढुलमुल प्रबंधन के कारण हम लोग मानसिक रूप से तनाव में हैं, जिससे परीक्षा प्रभावित हुई।