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Pic: ANI

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    मुंबई: रायगढ़ (Raigad) तट पर मिले एके-47(AK-47)  और नाव के मामले को केंद्रीय एजेंसियां काफी गंभीरता से ले रही हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में भले ही इस नाव के पीछे आतंकवादी वारदात नहीं होने की बात सामने आयी है। इसके बावजूद कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब जांच एजेंसियां ढूंढने की कोशिश कर रही हैं।

    रायगढ़ तट पर लावारिस हालत में संदिग्ध नाव और एके-47 राइफल के मिलने से समुद्री सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। मुंबई में हुए 26/11 हमले के आतंकी समुद्र के रास्ते आए थे। इसके अलावा 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों में इस्तेमाल हुए आरडीएक्स को भी रायगढ़ के श्रीवर्धन के तट पर उतारा गया था। 26/11 के हमलों के बाद दावा किया जा रहा है कि देश की समुद्री सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। ताजा घटनाक्रम से इस दावे पर सवालिया निशान लग गए हैं।

    कहां गए नाव में सवार लोग

    श्रीवर्धन में हरिहरेश्वर और भरडखोल में समुद्र तट पर दो नावें मिलीं हैं। इनमें हरिहरेश्वर में नाव में तीन एके-47 राइफल और 225 राउंड गोलियां मिली हैं। भरडखोल में तट के पास मिली नाव में लाइफ जैकेट और अन्य सामग्री मिली। इस मामले में कोई व्यक्ति नहीं मिला है। आखिर दोनों नाव में सवार लोग कहां गए? ओमान की नाव होने की बात सामने आयी है, लेकिन उसमें सवार लोगों का कोई पता नहीं चल सकता है। एनआईए ने इसकी जांच एनआईए शुरू कर दी है।

    ओमान से पाकिस्तान की समुद्री सीमा क्रॉस कर भारत में दाखिल हुई नाव

    ओमान से समुद्र के रास्ते भारत आते समय पाकिस्तान की समुद्री सीमा से होकर गुजरना पड़ता है। ओमान से भारत की दूरी लगभग 1,562 किलोमीटर है। इतनी दूरी पार करने के बाद यह नाव ओमान से एके-47 लेकर सीधे रायगढ़ तट पर पहुंच गई। 1,000 नॉटिकल मील की दूरी तय कर भारतीय समुद्री सुरक्षा के तीन स्तरों को तोड़ते हुए नाव रायगढ़ के तट पर आ गई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

    समुद्री सुरक्षा में कहां हुई चूक

    समुद्री सुरक्षा प्रणाली तीन स्तरों पर होती है। इसमें सागरी पुलिस, कोस्ट गार्ड और नौसेना शामिल है। इन तीनों की अपनी सीमाएं हैं। राज्य सागरी पुलिस तट से 22 किलोमीटर के समुद्र के दायरे में तैनात रहती है, जबकि तटरक्षक बल पर 22 किमी से 370 किलोमीटर तक समुद्री सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। नौसेना की मुख्य जिम्मेदारी 370 किमी से लेकर पूरी समुद्री सीमा तक होती है। रायगढ़ के समुद्र तट तक ओमान के नाव पहुंचने से पहले क्यों नहीं रोका जा सका? इस सवाल का जवाब ढूंढने में केंद्रीय जांच एजेंसियां लगी हैं।