Mira-Bhayander

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    -अनिल चौहान

    भायंदर: मीरा-भायंदर महानगरपालिका (Mira-Bhayander Municipal Corporation) की नयी डेवलपमेंट प्लान (DP) को बीजेपी (BJP) शुरु से ही विनाशकारी बताती आ रहीं है। अब औद्योगिक इकाइयों को भगाने का प्लान डीपी में तैयार होने का आरोप कारखाना मालिकों ने लगाया है। उनका आरोप है कि कंपनियों की जमीन निजी बिल्डरों (Private Builders) को प्रशासन देना चाहता है। इसलिए कई इंडस्ट्रियल क्षेत्र को रेजिडेंशियल (आर) जोन और सड़क प्रस्तावित डीपी में दर्शाया गया है। अब तक 3,100 आपत्तियां डीपी के खिलाफ दर्ज कराई जाती हैं।

    मीरा-भायंदर स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Mira-Bhayander Small Scale Industries Association) के अध्यक्ष मोहमद उमर कपूर पप्पू ने बताया कि सर्वे क्रमांक 266, 467, 468 पर 50 साल पहले बसा महेश इंडस्ट्रियल इस्टेट के भाग (हिस्सा) को आर जोन नई डीपी में दिखा दिया गया है। कपूर की मानें तो इंडस्ट्रियल के ठीक बगल में बिल्डिंग का निर्माण चल रहा है। कंपनियों की जमीन भी बिल्डर को देने की साजिश रची गई हैं।

    डीपी पर आपत्ति दर्ज करायी: राजेंद्र मित्तल 

    श्री भायंदर स्टेनलेस स्टील मैन्युफैक्चरिंग एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेंद्र मित्तल ने बताया कि उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज करायी है। मित्तल ने कहा कि भायंदर पूर्व में 300-400 वर्ग फिट की तकरीबन 3,000-4,000 कंपनियां हैं और उनमें डेढ़ लाख से अधिक मजदूर काम करते हैं। मीरा-भायंदर महानगरपालिका की नयी डीपी से कम्पनियों को भागना पड़ेगा और सारे मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे।

    पूर्व नगरसेवक ने की आई जोन करने की मांग

    एसोसिएशन के कार्याध्यक्ष और पूर्व नगरसेवक हंसु कुमार पांडे ने कहा कि मीरा-भायंदर में एक दर्जन से अधिक इंडस्ट्रियल क्षेत्र हैं। डीपी में सुधार कर (आई)जोन करने की मांग उन्होंने मीरा-भायंदर महानगरपालिका कमिश्नर से की है। पांडे ने कहा कि स्टील बर्तन सहित कई उद्योग इस शहर में तब से हैं, जब यहां सिर्फ गांव हुआ करते थे। स्टील उद्योग सबसे ज्यादा राजस्व और नौकरियां देता था। दुर्भाग्य की बात है कि प्रशासन की ओर से उद्योग-धंधे बचाने और बढ़ाने का व्यापक प्रयास नहीं हुआ। दहिसर चेक नाका से काशीमीरा तक ज्यादातर कंपनियों की जमीन पर गगनचुंबी इमारतें खड़ी चुकी हैं।