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गणपत पाटिल नगर

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  • सैकड़ों परिवार में हैं गर्भवती महिला, छोटे बच्चे और बीमार बुजुर्ग 
  • 20 साल पुरानी झुग्गियों पर चला था वन विभाग का बुल्डोजर 
  • क्या राजनीति का शिकार हो रहे हैं गणपत पाटील नगर के वासी
  • मनपा और वन विभाग अधिकारी भी सवालों के घेरों में
रितेश तिवारी@नवभारत 
दहिसर: मुंबई के बोरीवली दहिसर न्यू लिंक रोड पर बसी घनी झुग्गी वालें गणपत पाटील नगर (Ganpat Patil Nagar) के इलाके में करीब सैकड़ों परिवार पिछले 8 दिनों से खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. बीते 31 अक्टूबर को वन विभाग (Forest deparment) ने करीब 130 झुग्गियों (Slums) को अवैध बताकर ध्वस्त (Demolish) कर दिया। जिसके बाद से बेघर हुआ परिवार (Families) सड़क (Road) पर आ गया है। बेघर हुए परिवार के लोगों ने वन विभाग पर कई सारे आरोप भी लगाए हैं। बेघर लोगों का मानना है, कि हमारे पास सभी प्रकार के दस्तावेज हैं। प्रशासन ने बिना हमे पुनर्वसन का विकल्प दिए ही हमारे झोपड़ों को ध्वस्त कर दिया है। बेघर लोगों का यह भी मानना है, कि इन स्थानों पर पिछले 22 से 25 वर्षो से रह रहे थे। उस वक्त वन विभाग कहां था। वन विभाग ने दस्तावेजों की जांच किए बिना ही हमारे झोपड़ों पर बुलडोजर चला दिया। 
 
 
निर्माण के वक्त कहां था वन विभाग 
कुछ लोगों का यह भी मानना है, कि 130 झोपड़ों के पीछे राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया है। राजनीतिक पार्टी के नेता अपना निजी स्वार्थ साध रहें है। नाम ना छापने की शर्त पर कुछ बेघर लोगों ने बताया है कि 130 झोपड़ों में कुछ झोपड़े अन्य राजनीतिक पार्टियों के गुंडों का होने के कारण भेदभाव पूर्ण कार्यवाही की गई है। जिसका खामियाजा अन्य लोगों को भी भुगतना पड़ा है। सामाजिक कार्यकर्ताओ के अनुसार यहां जो भी नए झोपड़ों का निमार्ण होता है, उसकी जानकारी वन विभाग और मनपा प्रशासन को भी होती है। हालांकि सवाल यह भी उठता है कि, जब झोपड़ों का निमार्ण किया जा रहा था उस वक्त वन विभाग, मनपा प्रशासन और जनप्रतिनिधि कहां थे। उस वक्त अवैध झोपड़ों के निर्माण पर अंकुश क्यों नहीं लगाया गया। 
 
 
झुग्गियों के बढ़ने का जिम्मेदार कौन 
गौरतलब है, कि वर्ष 1995 में पहले यहां 404 झोपड़े थे। जिसकी आबादी वर्ष 2000 में 1068 झोपड़े और वर्तमान में करीब 20 हज़ार से अधिक झोपड़े बने होने का आकलन किया जा रहा है। सवाल यह उठता है, इको-सेंसिटिव ज़ोन दलदली भूमि के रूप में वर्गीकृत तटीय नियामक क्षेत्र (सीआरजेड) की जमीन पर बढ़ रहे झोपड़ों का जिम्मेदार कौन है। 
 
 
नेता के गुंडों पर होगी कार्रवाई 
राम यादव, शिवसेना नेता (शिंदे गुट) ने बताया, गणपत पाटील नगर में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के गुंडों द्वारा नए नए झोपड़ों का निमार्ण किया जाता है।
 
जिसके चलते स्थानिक रहिवासी इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। मनपा प्रशासन ने  गुंडों के ऊपर एमआरटीपी की कार्यवाही के लिए ज्ञापन डाला है। ठोस दस्तावेजों के आधार पर पात्र झोपड़पट्टी वासियों को घर देगी। 
 
 
योग्य झुग्गी धारकों को मिलेगा घर 
कांग्रेस नेता और एडवोकेट बिमलेश झा ने बताया, मेरी प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत हुई है। बेघर लोगों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी।
 
2011 तक के पात्र रहिवासियों को घर दिया जाएगा और गणपत पाटील नगर के मसले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। गरीबों को उनके हक का घर दिलाकर रहूंगा। 
 
हमारे हक्क का घर हमें दे
स्थानिक रहिवासी अनीता शिंदे ने कहा, हमारे पास सन 2000 की सर्वे पावती, आधार कार्ड, निर्वाचन कार्ड जैसे तमाम दस्तावेज उपलब्ध होने के बावजूद भी वन विभाग ने हमारे झोपड़ों को अवैध तरीके से ध्वस्त कर दिया है।
 
आख़िर हम जाएं तो जाएं कहां, सरकार से निवेदन कि हमारे हक्क का घर हमें दे। 
 
वोट लेती है पर हक नहीं देती सरकार 
स्थानिक पीड़ित नायडू ने कहा, सरकार ने हमें मतदान करने का अधिकार तो दिया है लेकिन जब भी हमारे सुविधाओं और हक्क बात आती है,  हमें अनदेखा कर दिया जाता है, चुनाव आते ही नेता हमारे विकास हमारे हक को घर की बात करते है, लेकिन आज हम बेघर हो गए है तब से कोई नेता नज़र नही आ रहा है।