Mumbai Schools Reopening : Schools for classes 1 to 7 will open in Mumbai from December 15 says BMC
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    मुंबई: मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) अपने स्कूलों (Schools) में पढ़ने वाले बच्चों के मुफ्त दिए जाने वाले ड्रेस का बीएमसी (BMC) ने मंजूरी दे दी है। स्कूली विद्यार्थियों के ड्रेस (Dress) पर इस वर्ष बीएमसी 88 करोड़ रुपए खर्च करने जा ही है। मुंबई महानगरपालिका का कार्यकाल समाप्त होने के कारण इस वर्ष स्कूल शुरु होने के तीन महीने बाद विद्यार्थियों को ड्रेस उपलब्ध हो सकेगा।

    बीएमसी इससे पहले महानगरपालिका के स्कूलों के बच्चों के लिए बूट और पाठ्यक्रम सामग्री निविदा को मंजूरी दे चुकी है। बीएमसी अपने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को कुल 23 प्रकार के आइटम मुफ्त उपलब्ध कराती है। पिछले महीने बूट, पेंसिल, बुक, रेनकोट, छाता आदि के लिए निविदा को मंजूर किया गया था जिसका वितरण भी शुरु कर दिया गया है।

    मेसर्स मफतलाल की निविदा की दर सबसे कम

    स्कूली बच्चों को वर्ष 2023-24 के लिए बीएमसी ने ड्रेस उपलब्ध कराने के लिए बीएमसी ने निविदा निकाली थी। निविदा में भाग लेने वाली चार प्रमुख कंपनियां जो बीएमसी के शर्तों को पूरा करने में खरा उतरी थीं, उनके बनाए ड्रेस को बीएमसी ने जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा था।  जिसमें से मेसर्स गुणिना कमर्शियल, मेसर्स मफतलाल इंडस्ट्रीज लि.मेसर्स ट्रेकोक्राफ्ट एसोसिएट्स और मेसर्स युटेक्स इंडस्ट्रीज के ड्रेस जांच में उपयुक्त पाए गए। इसमें मेसर्स मफतलाल की निविदा की दर सबसे कम होने के कारण अधिकारियों ने उसे निविदा देने की शिफारिश की थी। बीएमसी ने अपने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए वर्ष 2023-24 के निविदा की अनुमानित राशि 92 करोड़ 25 लाख 30 हजार 485 रुपए तय की थी। मेसर्स मफतलाल इंडस्ट्रीज की निविदा की दर सबसे कम 88 करोड़, 78 लाख 65 हजार 334 रुपए होने के कारण उसे निविदा प्राप्त हुई है। इस राशि में मफतलाल इंडस्ट्रीज को दो साल तक महानगरपालिका के स्कूली बच्चों को ड्रेस उपलब्ध कराने होंगे। बीएमसी स्कूलों में इस वर्ष कितने बच्चे पढ़ रहे हैं बीएमस शिक्षा विभाग अभी उसका डेटा जमा कर रहा है।

    पिछले साल महानगरपालिका के स्कूलों में कुल विद्यार्थियों की संख्या 2 लाख 93 हजार थी। इस साल के लिए निविदा मंजूर होने के बाद बच्चों को ड्रेस वितरित किया जाएगा। प्रत्येक विद्यार्थियों को दो ड्रेस उपलब्ध कराए जाते हैं।

    -राजेश कंकाल, शिक्षणाधिकारी, बीएमसी