सेल्फ टेस्ट किट से जांच वालों का रिकॉर्ड ही नहीं, प्रशासन तक नहीं पहुंच रही जानकारी

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    नागपुर. मौसम बदलने के साथ ठंड व बारिश की वजह से सर्दी, खांसी व बुखार के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ये सारे वही लक्षण हैं जो कोरोना के होते हैं. ऐसे में एहतियात के तौर पर लोग अपने डर को दूर करने के लिए सेल्फ कोरोना टेस्ट किट ले रहे हैं. सेल्फ कोरोना टेस्ट किट की तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए प्रशासन भी इस पर नजर रख रहा है.

    दवा विक्रेताओं के लिए किट खरीदारों के बारे में जानकारी एकत्र करना अनिवार्य कर दिया गया है. आईसीएमआर द्वारा मंजूर कोरोना की घरेलू जांच किट परेशानी की वजह बन गई है. विभिन्न कंपनियों की इन किट में मरीजों को टेस्टिंग के बाद नतीजा एप डाउनलोड कर जानकारी देनी होती है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

    मौसम की वजह से कई लोग सर्दी, खांसी व बुखार से पीड़ित हैं लेकिन डर की वजह से लोग डॉक्टर के पास न जाकर घर पर ही कोरोना टेस्ट कर रहे हैं. घर पर टेस्ट करने का चलन हाल ही में बढ़ा है. हालांकि  टेस्ट किट की बिक्री व खरीदी पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं क्योंकि ज्यादातर लोग टेस्ट की जानकारी छिपा रहे हैं. इसके लिए प्रशासन ने भी गाइडलाइन जारी की है.

    सही परिणाम की गारंटी नहीं 

    जानकारों का मानना है कि सेल्फ कोरोना टेस्ट किट सही परिणाम की गारंटी नहीं देती है. सबसे बड़ी बात यह कि इस टेस्ट का कोई रिकॉर्ड नहीं होता है. कोरोना मरीज की पहचान नहीं होने से संक्रमण का खतरा और तेजी से बढ़ सकता है. इस वजह से खाद्य व औषधि प्रशासन ने दवा डीलरों को पूरा नाम, पता, मोबाइल नंबर और बेची गई किट के विवरण का रिकॉर्ड रखने का आदेश दिया है.  वहीं घर में अगर कोरोना टेस्ट किट से जांच की गई है तो भी डॉक्टरों की सलाह लेना जरूरी होने की बात भी कही गई है.