Single Use Plastic Ban
Photo Credit- Twitter/ExperiencityCAD

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    • 161 किलो प्रतिबंधित प्लास्टिक की जब्ती
    • 01 लाख का वसूला जुर्माना

    नागपुर. केंद्र सरकार के अनुसार प्रतिबंधित प्लास्टिक के खिलाफ कड़ा अभियान शुरू करने की घोषणा मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी ने की थी. 1 जुलाई से शुरू हुए अभियान में 2-3 दिनों तक कई जगहों पर छापेमारी कर इसे कारगर रूप देने का प्रयास तो हुआ लेकिन अब अभियान के नाम पर आम कार्रवाई होती दिखाई दे रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिटी के 10 जोन में घूमने के बाद दस्तों की ओर से केवल 17 प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकी है, जबकि प्रत्येक जोन में कई तरह के बाजार और व्यापारिक परिसर हैं. सूत्रों के अनुसार प्रत्येक जोन में तैनात उपद्रव शोध दल में 10 के करीब कर्मचारियों को तैनात किया गया है. 

    हर जोन में 1 या 2 प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई

    सूत्रों के अनुसार एनडीएस दस्तों ने 2 दिन पहले अवकाश होने के बावजूद रविवार को भी कार्रवाई की थी. किंतु अब दिन-ब-दिन कार्रवाई में ढिलाई आने का नजारा है. बुधवार को हुई कार्रवाई का आलम यह था कि गांधीबाग जोन में 5 प्रतिष्ठानों पर हुई कार्रवाई को छोड़ दिया जाए तो हर जोन में केवल 1 या 2 प्रतिष्ठानों के खिलाफ ही कार्रवाई की गई है. इसमें लक्ष्मीनगर जोन में 1 प्रतिष्ठान, धरमपेठ जोन में 1, हनुमाननगर जोन में 1, सतरंजीपुरा जोन में 2, लकड़गंज जोन में 2, आसीनगर जोन में 2 और मंगलवारी जोन में 3 प्रतिष्ठानों के खिलाफ ही कार्रवाई का समावेश रहा. यहां तक कि कई जोन में आसपास के ही 2 प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई कर अभियान खत्म कर दिया गया. 

    पहुंच से दूर बड़े व्यापारी

    सूत्रों के अनुसार सिटी के कई साप्ताहिक बाजारों में धड़ल्ले से प्रतिबंधित प्लास्टिक की पन्नियों का उपयोग हो रहा है. इसके अलावा सड़कों के किनारे व्यापार करने वाले हॉकर्स के पास भी पन्नी मिल रही है लेकिन ऐसे स्थानों पर कार्रवाई होती दिखाई नहीं दे रही. इसके अलावा इन खुदरा दूकानदारों तक प्लास्टिक पन्नी पहुंचाने वाले बड़े व्यापारी अब तक मनपा के एनडीएस दस्ते की पहुंच से काफी दूर हैं, जबकि विभिन्न व्यापारिक परिसरों में स्थित स्थानीय व्यापारी अभियान का शिकार हो रहे हैं. जानकारों के अनुसार यदि प्रतिबंधित प्लास्टिक आपूर्तिकर्ता बड़े व्यापारियों पर शिकंजा कसा गया तो ही अभियान काफी कारगर साबित हो सकता है. अन्यथा कार्रवाई केवल नाममात्र ही साबित होने की आशंका है.