Arun Gawli
File Photo : PTI

  • 45 दिन का पैरोल देने से किया था इनकार

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नागपुर. सेंट्रल जेल में सजा भुगत रहे डॉन अरुण गवली द्वारा पत्नी की बीमारी का ऑपरेशन कराने के लिए पैरोल पर छोड़ने के लिए विभागीय आयुक्त के पास आवेदन किया गया था किंतु इसे ठुकराने के बाद उसने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की. याचिका पर सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश वीएम देशपांडे और न्यायाधीश अमित बोरकर ने विभागीय आयुक्त और अन्य को नोटिस जारी किया. साथ ही 29 अप्रैल तक जवाब दायर करने के आदेश दिए.

उल्लेखनीय है कि पत्नी का ऑपरेशन होने के कारण 45 दिन का पैरोल देने का अनुरोध करते हुए गवली ने विभागीय आयुक्त के पास आवेदन किया था किंतु उन्होंने अर्जी ठुकरा दी. गवली ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. मीर नागमन अली और राज्य सरकार की ओर से अधि. एनआर त्रिपाठी ने पैरवी की.

विरोध में है पुलिस रिपोर्ट 

सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रही वकील द्वारा बताया गया कि पैरोल देने से पहले प्रशासन ने वहां की स्थानीय पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी जिसमें पुलिस ने कानून और व्यवस्था बिगड़ने तथा गवाहों पर इसका विपरीत असर पड़ने की आशंका जताई थी. पुलिस रिपोर्ट के आधार पर पैरोल देने से इनकार किया गया. याचिकाकर्ता गैंग का मुखिया है. पैरोल पर जाने के बाद किसी घटना को अंजाम देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. 

हर समय किया आत्मसमर्पण

याचिका पर सुनवाई के दौरान अधि. अली ने कहा कि इसके पूर्व याचिकाकर्ता को 4 बार फरलो और 5 बार पैरोल अवकाश प्रदान किया गया है. प्रत्येक समय याचिकाकर्ता ने निर्धारित समय के भीतर जेल अधिकारी के समक्ष समर्पण किया है. यहां तक कि किसी भी समय याचिकाकर्ता द्वारा शर्तों का उल्लंघन नहीं किया गया. इसी तरह मामले के शिकायतकर्ता या गवाहों के खिलाफ भी कोई आपराधिक गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया है. पत्नी की बीमारी का ऑपरेशन कराने के लिए अवकाश मांगा जा रहा है. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.