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    नागपुर. शीत सत्र के दौरान सिटी में मंत्रियों और नेताओं का आवाजाही होने कारण सत्र के पहले से ही प्रशासन ने उनके आने-जाने के मार्गों को स्लेट की तरह चिकना कर दिया. इसके लिए कई बार नेताओं की ओर से सिटी के विकास को लेकर मेट्रो की कतार में इस शहर का भी नाम शामिल किया. किंतु आलम यह है कि वास्तविकता ठीक इसके उलटे हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण है अजनी चौक से साईं मंदिर की ओर पुल के किनारे से आने वाला मार्ग, जहां गड्ढों की भरमार है.

    इसी तरह से विपरीत दिशा की सड़क का भी यही हाल है. जबकि अजनी चौक से विधानमंडल तक जाने वाले मार्ग पर नए सिरे से डामरीकरण कर दिया गया है. इस तरह की कार्यप्रणाली को देखते हुए संभवत: जहां से नेता जाएं, उसी सड़क का डामरीकरण करने के नए नियम प्रशासन द्वारा तय किए जाने की आशंका जताई जा रही है. बताया जाता है कि अजनी चौक से शुरू होने वाले फ्लाईओवर पर से एअरपोर्ट के लिए नेताओं के वाहन सीधे निकल जाने के कारण दोनों ओर की सड़कों को नजरअंदाज कर दिया गया जबकि नीचे से आवाजाही करनेवाले स्थानीय लोगों की कोई चिंता नहीं है.

    गड्ढे भरने की प्रक्रिया भी अजीबोगरीब 

    बताया जाता है कि इन दोनों ओर की सड़कों पर कुछ समय पहले भारी गड्ढे थे. जिन्हें ठेकेदार कम्पनी के माध्यम से भरा गया. गड्ढे भरने की भी नई कार्यप्रणाली अपनाई गई. जहां-जहां गड्ढे थे, वहां पर रेडीमिक्स कंक्रीट की गाड़ी से सीमेंट डाला गया. जिसके बाद ठेकेदार कम्पनी के मजदूरों से उस कांक्रीट पर बोरे डालने को कहा गया. आश्चर्यजनक यह है कि उस कांक्रीट को समतल तक नहीं किया गया.

    बोरे डालने के बाद तुरंत ही वाहनों को वहां से गुजरने की अनुमति दी गई. शायद ठेकेदार कम्पनी का मानना था कि कांक्रीट पर से गुजरते समय वाहनों के पहिए ही इसे समतल कर देंगे. जिससे गड्ढे भी भर जाएंगे और काम भी पूरा हो जाएगा. किंतु आलम यह रहा कि वाहनों की तुरंत आवाजाही के चलते पहियों ने कांक्रीट का आकार ही बदल दिया. जिसके चलते गड्ढे पहले से भी अधिक खतरनाक हो गए. कांक्रीट उबड़-खाबड़ होने के कारण अब यहां से वाहनों को चलाना किसी सर्कस से कम नहीं है. 

    सड़क कौन बना रहा पता नहीं

    सूत्रों के अनुसार सड़कों का काम करने वाली स्थानीय इकाई पीडब्ल्यूडी, मनपा या अन्य एजेन्सियों द्वारा कोई भी काम करते समय ठेकेदार को वहां पर उसका बोर्ड लगाना जरूरी होता है. जिससे काम को लेकर किसी तरह की आपत्ति होने या फिर शिकायत करने के लिए वास्तविक जानकारी के साथ प्रशासन को सूचित किया जाए. किंतु शीत सत्र के दौरान किए गए किसी भी कार्यस्थल पर इस तरह का बोर्ड नहीं लगाया है. नियमों के अनुसार बोर्ड पर किस ठेकेदार से कार्य किया गया?, इस कार्य का दायित्व समय और टेंडर की कीमत का भी उल्लेख होता है. दायित्व समय निश्चित होने से समय के पहले सड़क खराब होने पर इसकी शिकायत की जा सकती है लेकिन किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया.