Bailable warrant against Education Secretary, High Court issues notice

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नागपुर. एक ही शिक्षा संस्थान के कर्मचारियों को एक स्कूल से दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने के संदर्भ में उत्पन्न विवाद को लेकर हाई कोर्ट द्वारा 2 वर्ष पूर्व फैसला सुनाया गया. हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकृत कर आदेश भी जारी किए किंतु आदेशों का पालन नहीं होने पर अब बंसराज सिंह ठाकुर एजुकेशन सोसाइटी और अन्य की ओर से अवमानना की याचिका दायर की गई.

याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने तमाम प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए थे. इसके बाद भी जवाब दायर नहीं किया गया. इसे गंभीरता से लेते हुए अब हाई कोर्ट ने अवमानना के लिए शिक्षा सचिव रणजीत सिंह देओल, शिक्षा विभाग उपसंचालक डॉ. वैशाली जामदार, जिला परिषद के माध्यमिक शिक्षाधिकारी रवीन्द्र काटोलकर और जिला परिषद के वेतन व पीएफ विभाग के अधीक्षक प्रमोद सोनटक्के के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया. 

डेढ़ वर्ष तक कोई कार्यवाही नहीं

उल्लेखनीय है कि सोसाइटी की ओर से वर्ष 2020 में ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर एक वर्ष तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने 2 दिसंबर 2021 को आदेश जारी किए किंतु डेढ़ वर्ष तक विभाग द्वारा किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई जिससे मजबूरन हाई कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की गई. अवमानना की याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद सभी प्रतिवादियों को 3 मई 2023 को नोटिस जारी किया. आश्चर्यजनक यह रहा कि 6 माह बीतने के बाद भी नोटिस का जवाब नहीं दिया गया जिससे हाई कोर्ट की ओर से चारों प्रतिवादी अधिकारियों के खिलाफ उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 5,000 रुपए का जमानती वारंट जारी किया गया. 

समान प्रबंधन के स्कूल में ट्रांसफर अवैध नहीं

याचिकाकर्ताओं का मानना था कि एक ही प्रबंधन द्वारा संचालित अनुदानित स्कूल में उनकी ही गैर अनुदानित स्कूल से 4 शिक्षकों का ट्रांसफर करना कोई अवैध नहीं है. सुनवाई के दौरान इस तरह के मामलों में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का हवाला भी दिया गया जिस पर अदालत का मानना था कि जिन फैसलों का हवाला दिया जा रहा है उससे याचिका का उद्देश्य ही स्पष्ट हो जाता है. इस पर सरकारी पक्ष के वकील की भी सहमति है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से ही स्थायी गैर अनुदानित जिला परिषद की स्कूल का संचालन किया जाता है. इसी तरह महाराष्ट्र एम्प्लाइज ऑफ प्राइवेट स्कूल एक्ट के प्रावधानों में शिक्षण सेवक या असि. टीचर के ट्रांसफर पर पाबंदी नहीं है.