नागपुर. पिछले मौसम में बोंड इल्ली के प्रकोप से कपास उत्पादन में भारी गिरावट आई थी़ इस बार भी बोंड इल्ली ने किसानों का टेंशन बढ़ा दिया है़ अतिवृष्टि से पहले ही फसल खराब हुई़ ऐसे में शेष फसल हाथ लगेगी, ऐसी उम्मीद किसानों को है़ परंतु फिर एक बार बोंड इल्ली का प्रकोप होने से फसल संकट में दिखाई दे रही है़ दो बार की तुड़ाई के बाद अब किसानों पर फसल उखाड़ फेंकने की नौबत आ गई है़ कपास को भले ही अच्छा मूल्य मिल रहा हैं,परंतु इल्ली के प्रकोप से फिर एक बार किसान आर्थिक संकट में आ सकता है.
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष बोंड इल्ली के कारण किसानों का भारी नुकसान हुआ था़ फिर एक बार बोंड इल्ली की एन्ट्री होने से किसानों में दहशत व्याप्त है़ बोंड इल्ली का प्रकोप रोकने के लिए कृषि विभाग ने प्रयास करना जरूरी है़, परंतु ऐसा नहीं हो रहा है़ गत वर्ष जिले में कपास की बुआई अच्छी रही लेकिन इल्ली के आक्रमण से उपज पर काफी असर हुआ़ उम्मीद के अनुसार फसल न होने से किसान चिंता में डूब गया़ वहीं गत वर्ष उम्मीद के अनुसार मूल्य न मिलने से लागत खर्च भी नहीं निकल पाया़ इस सोयाबीन से किसानों को काफी उम्मीद थी़ लेकिन अतिवृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया़ ऐसे में किसानों की नजरें कपास पर टीकी है़.
फसल उखाड़ फेंकने की नौबत
अतिवृष्टि का असर कपास की फसल पर भी देखा गया़ परंतु पहली वेचाई ठीक-ठाक रहने से दिवाली के समय कपास को अच्छा मूल्य मिला़ अब दूसरी वेचाई चल रही है़ ऐसी स्थिति में बोंड इल्ली ने फिर एक बार आक्रमण करने से किसानों में मायूसी छा गई है़ अधिक मजदूरी देकर किसान कपास घर ला रहे है़ प्रतिवर्ष दिसंबर के अंत में कपास की फसल उखाड़कर फेंकी जाती है़ लेकिन इस बार दो बार की वेचाई के बाद ही किसानों पर फसल उखाड़ने की नौबत आ गई है.